शब्द का अर्थ
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अनल :
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पुं० [सं०√अन (जीवन)+कलच्] १. अग्नि। आग। २. जठराग्नि। ३. पवन। हवा। ४. आठ वस्तुओं में से पाँचवाँ वसु। ५. एक पितृ देव। ६. परमेश्वर। ७. जीव। ८. विष्णु। ९. वासुदेव। १. कृत्तिका नक्षत्र। ११. ५॰वाँ संवत्सर। १२. तीन की संख्या। १३. माली नामक राक्षस का पुत्र जो विभीषण का मंत्री था। १४. चीता नामक वृक्ष। १५. भिलावें का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
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अनल-चूर्ण :
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पुं० [ष० त०] बारूद। |
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अनल-पक्ष :
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पुं० [ब० स०] एक कल्पित चिड़िया जिसके संबंध में कहा जाता है कि यह सदा आकाश में ही उड़ती रहती और वहीं अंडे देती है। |
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अनल-पंख :
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पुं० दे० ‘अनल-पक्ष’। |
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अनल-परवचार :
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पुं० [सं० अनलपक्ष-चर] हाथी। (डि०) (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनल-प्रिया :
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स्त्री० [ष० त०] अग्नि की स्त्री, स्वाहा। |
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अनल-मुख :
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वि० [ब० स०] १. जिसके मुख से अग्नि निकलती हो। २. जो अग्नि के द्वारा सब पदार्थों को ग्रहण करे। पुं० १. देवता। २. ब्राह्नाण। ३. चीता नामक पौधा। ४. भिलावे का पेड़। |
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अनलद :
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वि० [सं० अनल√दा (देना)+क] १. अग्नि उत्पन्न करने या देने वाला। २. आग बुझानेवाला (पानी)। |
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अनलस :
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वि० [सं० न-अलस, न० त०] १. आलस्यरहित, फलतः फुर्तीला। २. चैतन्य। 3. [न अलसो यस्मात्, न० ब०] जिससे बढ़कर कोई आलसी न हो। |
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अनलसित :
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वि० [सं० न-अलस, न० त०] आलस्यरहित। वि० [हिं० अन+लसना] १. जो लसित न हो। २. शोभा न देने वाला। अशोभन। |
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अनलहक :
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पुं० [अ०] एक अरबी पद जो अहं ब्रह्मास्मि का वाचक है और जिसका अर्थ है-मैं ही ब्रह्म या ईश्वर हूँ। |
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अनला :
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स्त्री० [सं० अनल+टाप्] १. दक्ष प्रजापित की एक कन्या जिसका विवाह कश्यप ऋषि से हुआ था। २. माल्यवान नामक राक्षस की एक पुत्री। |
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अनलायक :
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वि० [हिं० अन=नहीं+अ० लायक] १. जो लायक (योग्य) न हो। अयोग्य। नालायक। २. अनुपयुक्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनलि :
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पुं० [सं०√अन् (जीना)+अच् अन-अलि, ब० स० पररूप] बक नामक वृक्ष।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनलेख :
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वि० [हिं० अन=नहीं+सं० लक्ष्य=देखने योग्य] १. जो दिखाई न दे। अलक्ष्य। अदृश्य। २. अगोचर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनलेखा :
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वि० [हिं० अन=नहीं+लेखा] १. जिसका लेखा या हिसाब न हो सके। २. अनगिनत। असंख्य। उदाहरण—साधनपुंच परे अनलेखे, मै हौं अपने मन एकौ न लेख्यौ।—घनानंद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनल्प :
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वि० [सं० न-अल्प,न० त०] १. जो अल्प या थोड़ा न हो। अधिक। बहुत। २. यथेष्ट। |
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