अप्रति/aprati

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शब्द का अर्थ

अप्रति  : वि० [सं० न० ब०] १. जिसकी तुलना, बराबरी या मुकाबले का कोई न हो। २. जिसे रोका न जा सके।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अप्रतिकर  : वि० [सं० न० ब०] १. विश्वास-पात्र। २. विश्रंभी।
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अप्रतिकार  : पुं० [सं० न० ब०] प्रतिकार का अभाव। वि० १. जिसका प्रतिकार या बदला न हो सके०। २. जिसका कोई प्रतिकार या उपाय न हो सके।
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अप्रतिकारी (रिन्)  : वि० [सं० न० त०] १. जो प्रतिकार न करे। बदला न लेनेवाला। २. किसी के विरुद्ध उपाय या प्रयत्न न करनेवाला।
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अप्रतिघ  : वि० [सं० न० ब०] १. जिसे रोका या पकड़ा न जा सके। २. जिसे जिता न जा सके।
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अप्रतिदेय  : वि० [सं० न० त०] (ऐसा ऋण या दान) जो सदा के लिए दे दिया गया हो और लौटाया जाने को न हो। जैसे—अप्रतिदेय ऋण (परमानेन्ट एडवांस)
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अप्रतिपत्ति  : स्त्री० [सं० न० त०] १. प्रकृत अर्थ समझने की योग्यता का अभाव। २. कर्तव्य-संबंधी निश्चय का अभाव।
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अप्रतिपन्न  : वि० [सं० न० त०] १. (व्यक्ति) जिसे अपने कर्तव्य का ज्ञान न हो। २. (बात या विषय) जो ज्ञात या निश्चित न हो।
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अप्रतिबद्ध  : वि० [सं० न० त०] १. जिसपर किसी प्रकार का प्रतिबंध या रोक-टोक न हो। २. स्वच्छंद। ३. मन-माना।
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अप्रतिबंध  : वि० [सं० न० ब०] १. जिस पर किसी प्रकार का प्रतिबंध या रोक न हो या न लगाई गई हो। प्रतिबंध-हीन। २. स्वतंत्र। ३. पूर्ण। परम। (एब्सोल्यूट) पुं० [न० त०] प्रतिबंध का अभाव।
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अप्रतिबल  : वि० [सं० न० ब०] बल या शक्ति के विचार से जिसकी बराबरी का दूसरा न हो अर्थात् बहुत प्रबल या बलवान्।
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अप्रतिभ  : वि० [सं० न-प्रतिभा० न० ब०] १. जिसमें प्रतिभा न हो, फलतः चेष्टा, बुद्धि, स्फूति आदि से रहित। २. जो लज्जित करनेवाली घटना या बात के कारण उदास या निरुत्तर हो गया हो। ३. विनम्र। ४. लज्जाशील।
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अप्रतिभा  : स्त्री० [सं० न० त०] १. प्रतिभा का अभाव। २. न्याय में एक निग्रह स्थान जिसमें किसी पक्ष या बात का खंडन नहीं किया जा सकता। ३. लज्जा। ४. कायरता।
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अप्रतिभाव्य  : वि० [सं० प्रअति√भू०(होना)+णिच्+यत्,न० त०] १. जो प्रतिभाव्य न हो। २. (अपराध) जिसमें जमानत न ली जा सकती हो। (नॉन-बेलेबुल)
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अप्रतिम  : वि० [सं० न-प्रतिमा, न० ब०] जिसकी तुलना या बराबरी का दूसरा न हो। बेजोड़। अनुपम।
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अप्रतिमान  : वि० [सं० न० ब०]=अप्रतिम।
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अप्रतिरथ  : वि० [सं० न० ब०] वीरता में, जिसकी बराबरी या मुकाबले का कोई न हो।
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अप्रतिरूप  : वि० [सं० न० ब०] १. जिसका कोई प्रतिरूप न हो। २. जो अनुरूप या सटीक न हो। ३. अरुचिकर।
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अप्रतिवार्य  : वि० [सं० प्रति√वृ+णिच्+यत्, न० त०] जिसका प्रतिवारण न हो सके।
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अप्रतिष्ठ  : वि० [सं० न-प्रतिष्ठा० न० ब०] १. जिसकी प्रतिष्ठा न हो। २. तिरस्कृत।
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अप्रतिष्ठा  : स्त्री० [सं० न० त०] [वि० अप्रतिष्ठित०] १. प्रतिष्ठा या सम्मान का अभाव। २. अनादर। अपमान। ३. अपयश। अपकीर्ति।
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अप्रतिष्ठित  : वि० [सं० न० त०] १. जो प्रतिष्ठित या सम्मानित न हो। २. [अप्रतिष्ठा+इतच्] जिसकी अप्रतिष्ठा या अपमान किया गया हो।
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अप्रतिसंबद्ध  : वि० [सं० न० त०] जिनका परस्पर कोई लगाव या संबंध न हो।
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अप्रतिहत  : वि० [सं० न० त०] १. जिसे आघात या ठोकर न लगी हो। जो प्रतिहत न हो। २. जो हारा न हो। ३. जिसके लिए कोई रोक-टोक न हो। ४. जिसेक बीच में बाधा या विघ्न न पड़ा हो। जैसे—अप्रतिहत गति। पुं० अंकुश।
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अप्रतिहार्य  : वि० [सं० न० त०] जो प्रतिहार्य के योग्य न हो। जिसका प्रतिहार्य न हो सके।
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