| शब्द का अर्थ | 
					
				| अहंकार					 : | पुं० [सं० अहम्√कृ (करना)+घञ्] १. अंतःकरण की वह स्वार्थपूर्ण वृत्ति जिससे मनुष्य समझता है कि मै कुछ हूँ या कुछ करता हूँ। मन में रहनेवाला ‘मैं’ और ‘मेरा’ का भान। अहं-भाव। (इगोइज्म) विशेष—सांख्य के अनुसार यह महत्तत्व से उत्पन्न एक द्रव्य है और वेदांत में इसे अंतःकरण का वह भेद माना है जिसका विषय अभिमान या गर्व है। २. अभिमान। गर्व। शेखी। (इगोटिज्म) | 
			
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				| अहंकारी (रिन्)					 : | वि० [सं० अहम्√कृ+णिनि] [स्त्री० अहंकारिणी] जिसे अहंकार या अभिमान हो। अहंकार करनेवाला। अभिमानी। | 
			
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				| अहंकार्य					 : | पुं० [सं० अहम्√कृ+ण्थत्] (ऐसा उद्देश्य या कार्य) जो स्वयं या अपने द्वारा सिद्ध किया जाने को हो। | 
			
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