शब्द का अर्थ
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					आज					 :
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					अव्य० [सं० अद्य,प्रा०अज्ज,अज्जु,उ०आजि,गु०अज०आजे,पं०अज्ज,का०अजि,आजि,मरा०आज] १. जो दिन इस समय चल रहा है, उस दिन। वर्तमान दिन में। २. इन दिनों में। इस काल में। पुं० प्रस्तुत या वर्त्तमान दिन।				 | 
			
			
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					आज-कल					 :
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					अव्य० [हिं० आज+कल] १. प्रस्तुत या वर्त्तमान दिनों में। २. एक-दो दिन में। मुहावरा—आजकल करना-टाल-मटोल करना। हीला-हवाला करना। आज-कल लगना-मरण काल निकट आना। पद—आज कल में-कुछ ही दिनों में। ३. वर्त्तमान काल या युग में। इन दिनों।				 | 
			
			
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					आजगर					 :
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					वि० [सं० अजगर+अण्] १. अजगर संबंधी। २. अजगरों की तरह का। अजगरों जैसा।				 | 
			
			
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					आजगव					 :
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					पुं० [सं० अजगव+अण्] शिव का धनुष।				 | 
			
			
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					आजन्म					 :
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					अव्य० [सं० अव्य,स०] १. जन्म से लेकर अब तक। २. जीवन पर्यन्त। जीवन भर।				 | 
			
			
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					आजमाइश					 :
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					स्त्री० [फा०] जाँच। परीक्षण।				 | 
			
			
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					आजमाइशी					 :
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					वि० [फा०] जो आजमाइश या परीक्षण के रूप में हो।				 | 
			
			
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					आजमाना					 :
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					स० [फा०आजमाइश=परीक्षा] [वि० आजमूदा] परीक्षण या परीक्ष करना। जाँचना। परखना।				 | 
			
			
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					आजमीढ़					 :
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					वि० [सं० अजमीढ़+अण्] १. अजमीढ़ राजा के वंश का। २. अजमीढ़ देश का।				 | 
			
			
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					आजमूदा					 :
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					वि० [फा० आजमूदः] आजमाया या परखा हुआ। परीक्षित।				 | 
			
			
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					आजा					 :
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					पुं० [सं० आर्य, प्रा० अज्ज] [स्त्री० आजी, वि० अजिया] पिता का पिता। पितामह। दादा।				 | 
			
			
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					आजाद					 :
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					वि० [फा० आजाद] [संज्ञा० आजादी, आजादगी] १. खुला हुआ। मुक्त। २. स्वच्छंद। ३. स्वतंत्र। ४. मन मौजी। पुं० एक प्रकार के मुसलमान सूफी फकीर जो इस्लाम धर्म के अधिकतर बंधनों से मुक्त और स्वतंत्र रहते है।				 | 
			
			
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					आजादगी					 :
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					स्त्री० [फा०]=आजादी।				 | 
			
			
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					आजादी					 :
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					स्त्री० [फा०] १. आजाद होने की अवस्था या भाव। २. मुक्ति। ३. स्वतंत्रता। ४. स्वच्छंदता।				 | 
			
			
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					आजान					 :
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					पुं० [सं०√जन् (उत्पन्न होना)+घञ्, आ-जान, अव्य० स०] १. जन्म। २. उत्पत्ति। ३. जन्म या उत्पत्ति का स्थान।				 | 
			
			
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					आजान-देव					 :
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					पुं० [आ-जान, अव्य० स०, आजान-देव, कर्म० स०] वह देवता जो सृष्टि के आदि में देव रूप में उत्पन्न हुआ हो। जन्मजात। देवता।				 | 
			
			
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					आजानि					 :
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					स्त्री० [सं० आ√जन्+इण्] १. उच्च कुल या उत्तम वंश में जन्म लेना। २. जन्म देनीवाली माता।				 | 
			
			
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					आजानु-बाहु					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] वह जिसके हाथ इतने लंबे हों कि लटकाने पर नीचे घुटनों तक पहुँचते हों। (बहुत बड़े कर्मठों या वीरों का लक्षण)				 | 
			
			
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					आजाने					 :
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					अव्य० =अनजाने।				 | 
			
			
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					आजार					 :
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					पुं० [फा०] १. बीमारी। रोग। व्याधि। २. कष्ट। दुख।				 | 
			
			
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					आजिज					 :
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					वि० [अ०] [भाव० आजिजी] १. विनीत। दीन। २. तंग। परेशान। ३. लाचार। विवश।				 | 
			
			
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					आजिजी					 :
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					स्त्री० [अ०] १. विनय। दीनता। २. लाचारी। विवशता।				 | 
			
			
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					आजीव					 :
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					पुं० [सं० आ√जीव्(जीना)+घञ्] १. उचित लाभ या आय। २. जीवन निर्वाह के लिए प्राप्त होने वाली आय या मिलनेवाला धन। ३. जीविका। पेशा।				 | 
			
			
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					आजीवक					 :
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					वि० [सं० आ√जीव्+ण्वुल्-अक] जीवन निर्वाह में कुछ निश्चित नियमों का पालन करनेवाला। पु० जैन साधु।				 | 
			
			
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					आजीविका					 :
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					स्त्री० [सं० आ√जीव्+णिच्+ण्वुल्-अक+टाप्, इत्व] ऐसा कार्य या व्यवसाय जिसकी आय से जीवन निर्वाह होता हो। रोजी।				 | 
			
			
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					आजीव्य					 :
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					वि० [सं० आ√जीव्+ण्यत्] (कार्य या व्यवसाय) जिससे जीवन निर्वाह होता हो। पुं० जीवन निर्वाह के साधन।				 | 
			
			
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					आजु					 :
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					अव्य० =आज। पुं० =आज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					आजुल					 :
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					पुं० =आज्ञा। दादा। उदाहरण— साग की क्यारी हमरे आजुल ने लगाई।—लोकगीत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					आजू					 :
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					पुं० [सं० आ√जु (गति)+क्विप्] बेगार। अव्य० =आज।				 | 
			
			
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					आज्ञप्त					 :
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					भू० कृ० [सं० आ√ज्ञा(जानना)+णिच्, पुक्, ह्रस्व+क्तिन्] १. जिसे आज्ञा दी गई हो। २. जो आज्ञा के रूप में प्राप्त हुआ हो।				 | 
			
			
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					आज्ञप्ति					 :
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					स्त्री० [सं० आ√ज्ञा+णिच्+पुक्, हस्व+क्तिन्] १. कानून या विधि के आधार पर दी जानेवाली आधिकारिक आज्ञा या होनेवाला निर्णय। २. न्यायालय या न्यायाधीश का लिखित निर्णय। (डिक्री, उक्त दोनों अर्थों में)				 | 
			
			
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					आज्ञा					 :
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					स्त्री० [सं० आ√कर्म+अङ-टाप्] १. किसी अधीनस्थ कर्मचारी या व्यक्ति से मौखिक रूप से कहा हुआ अथवा लिखित रूप से दिया हुआ ऐसा निर्देश जिसका पालन करना अनिवार्य हो। हुकुम। (आर्डर) २. किसी कार्य या बात के लिए मिलनेवाली अनुमति। ३. दे० ‘आज्ञाचक्र’।				 | 
			
			
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					आज्ञा चक्र					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] हठयोग में, शरीर के अंदर से आठ चक्रों में से छठा चक्र जो दो दलों का श्वेत वर्णका और दोनों भौहों के बीच में स्थित माना गया है। कहते है कि इसके साधन से वाक्-सिद्धि प्राप्त होती है।				 | 
			
			
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					आज्ञा पालक					 :
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					वि० [सं० ष० त०] [स्त्री० आज्ञापालिका] आज्ञा पालनकरनेवाला। आज्ञाकारी। पुं० १. दास। २. सेवक।				 | 
			
			
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					आज्ञा फलक					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] वह पत्र जिसमें किसी विषय या व्यवहार संबंधी आज्ञा लिखी हो। (आर्डर शीट)				 | 
			
			
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					आज्ञा भंग					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] आज्ञा न मानना अथवा उसके विरुद्ध आचरण करना। (डिस्ओबीडिएन्स)				 | 
			
			
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					आज्ञा-पत्र					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] वह पत्र जिसमें कोई आज्ञा लिखकर दी गई हो। हुकुमनामा।				 | 
			
			
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					आज्ञा-पालन					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] [स्त्री० आज्ञापालक] किसी की दी हुई आज्ञा के अनुसार कार्य करना।				 | 
			
			
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					आज्ञाकारिता					 :
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					स्त्री० [सं० आज्ञाकारिन्+तल्-टाप्] आज्ञाकारी होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					आज्ञाकारी (रिन्)					 :
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					वि० [सं० आ√कृ (करना)+णिनि] [स्त्री० आज्ञाकारिणी] किसी की आज्ञा का अनुसरण या पालन करनेवाला। पुं० १. दास। २. सेवक।				 | 
			
			
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					आज्ञाता (तृ)					 :
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					पुं० [सं० आज्ञापयिता] वह जो दूसरों को आज्ञा दे। आज्ञा देनेवाला।				 | 
			
			
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					आज्ञान					 :
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					पुं० [सं० आ√ज्ञा+ल्युट्-अन] देखने या समझने की क्रिया भाव या शक्ति।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्ञापक					 :
				 | 
				
					वि० [सं० आ√ज्ञा+णिच्,पुक्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० आज्ञापिका] आज्ञा देनेवाला। आज्ञाता। पुं० प्रभु। स्वामी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्ञापन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० आ√ज्ञा+णिच्, पुक्+ल्युट्-अन] [भू० कृ० आज्ञापित] आज्ञा देने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्ञापित					 :
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					भू० कृ० [सं० आज्ञप्त] १. (व्यक्ति) जिसे आज्ञा दी गई हो। २. (कार्य) जिसके संबंध में आज्ञा दी गई हो।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्ञायी (यिन्)					 :
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					वि० [सं० आ√ज्ञा+णिनि, युक्, आगम] १. जानने या समझनेवाला। २. अनुभव करनेवाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्ञार्थक					 :
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					पुं० [सं० आज्ञा-अर्थ, ब० स० कप्] व्याकरण में क्रिया पद का वह रूप जिसमें किसी को कोई काम करने का आदेश दिया जाता है। विधि। (इम्परेटिव मूड) जैसे—आओ, बैठो।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्य					 :
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					पुं० [सं० आ√अंज् (दीप्ति)+क्यप्] १. वह घी जिससे आहुति दी जाए। २. दूध या तेल, जो घी के स्थान पर आहुति में दिया जाए। ३. यज्ञ में दी जानेवाली हवि। ४. प्रातः कालीन यज्ञ का एक स्त्रोत।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्य-भाग					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] यज्ञ में अग्नि और सोमदेव को दी जाने वाली घृत की दो आहुतियाँ।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्य-भुक्					 :
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					पुं० [सं० आज्य√भुज् (खाना)+क्विप्] १. अग्नि। २. देवता।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्य-स्थाली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०] वह यज्ञ पात्र जिसमें हवन के लिए घी रखा जाता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					आज्यपा					 :
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					पुं० [सं० आज्य√पा (पीना)+क्विप्] सात प्रकार के पितरों में से एक जो पुलस्त्य के पुत्र वैश्यों के पितर हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |