शब्द का अर्थ
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					आदर					 :
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					पुं० [सं० आ√दृ(सम्मान करना)+अप्] १. किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा सम्मान का वह पूज्य भाव जो दूसरों के मन में रहता है। २. उक्त के विचार से किया जाने वाला सत्कार। ३. किसी के प्रति अनुराग होने के कारण किया जानेवाला सत्कार और सम्मान। ४. बच्चों के साथ किया जानेवाला दुलार। (पूरब)। पुं० =आर्द्रा (नक्षत्र)। वि० =आर्द्र (गीला या तर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					आदर-भाव					 :
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					पुं० [सं० आदर-भाव,ष०त०] किसी का किया जानेवाला आदर या सत्कार। आव-भगत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					आदरण					 :
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					पुं० [सं० आ√दृ+ल्युट्-अन] अनुराग श्रद्धा आदि के कारण किसी का आदर या सत्कार करना।				 | 
			
			
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					आदरणीय					 :
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					वि० [सं० आ√दृ+अनीयर] [स्त्री० आदरणीया] जो आदर प्राप्त करने का अधिकारी हो। आदर किये जाने के योग्य।				 | 
			
			
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					आदरना					 :
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					स० [सं० आदरण] १. आदर या सत्कार करना। २. इज्जत या सम्मान करना।				 | 
			
			
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					आदरस					 :
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					पुं०=आदर्श।				 | 
			
			
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					आदर्य					 :
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					वि० [सं० आ√दृ (आदर करना)+यत्] =आदरणीय।				 | 
			
			
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					आदर्श					 :
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					पुं० [सं० आ√दृश् (देखना)+घञ्] १. अवलोकन करना। देखना। २. दर्पण। शीशा। ३. टीका या व्याख्या। ४. प्रतिलिपि। ५. मानचित्र। नक्शा। ६. किसी बात या वस्तु की वह काल्पनिक श्रेष्ठतम अवस्था रूप या स्थिति जिसका हम अनुकरण करना चाहते हों, अथवा जिसके पास तक पहुँचना चाहते हों। जैसे—राम-राज्य का आदर्श। ७. वह श्रेष्ठतम वस्तु (या व्यक्ति) जिसके अनुकरण पर वैसी ही और वस्तु (या व्यक्ति) बनने बनाने की भावना उत्पन्न होती है। नमूना। प्रतिमान। (आइडियल, अंतिम दोनों अर्थों के लिए)।				 | 
			
			
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					आदर्श-मंदिर					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] शीशे का बना हुआ अथवा ऐसा घर जिसमें बहुत से शीशे लगे हों। शीश महल।				 | 
			
			
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					आदर्श-विज्ञान					 :
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					पुं० [सं० ष०त०] विज्ञान की दो शाखाओं में से एक जिसमें वे विज्ञान आते हैं जो कल्पना आदि के आधार पर आदर्शों का विवेचन करते हैं। (नाँरमेटिव साइंस) जैसे—नीति विज्ञान। (दूसरी शाखा तात्त्विक विज्ञान है)				 | 
			
			
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					आदर्शक					 :
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					वि० [सं० आ√दृश्+णिच्+ण्वुल् वा√दृश+ण्वुल्-अक] १. दिखलाने या देखनेवाला। २. आदर्श संबंधी। पुं० [आदर्श+कन्] दर्पण। शीशा।				 | 
			
			
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					आदर्शन					 :
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					पुं० [सं० आ√दृश्+ल्युट्-अन] १. देखना या दिखलाना। २. दृश्य। ३. दर्पण। शीशा। ४. आदर्श प्रस्तुत करना या बनाना।				 | 
			
			
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					आदर्शवाद					 :
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					पुं० [ष० त०] [वि० आदर्शवादी] १. यह सिद्धांत जो मनुष्य को सदा आदर्श (अच्छी से अच्छी बाते) अपने सामने रखकर उनकी सिद्धि या प्राप्ति के लिए सब कार्य करने चाहिए। २. दार्शनिक क्षेत्र में यह सिद्धांत कि संसार के सभी दृश्य पदार्थ मनुष्य की कल्पना या मन से ही संभूत है और यह नहीं कहा जा सकता कि मन से पृथक् या भिन्न कोई वास्तविकता है। ३. कला और साहित्य में कल्पनागत बात या विषय को आदर्श रूप देने की प्रणाली या शैली यथार्थवाद, का विपर्याय। (आइडियलिज्म)।				 | 
			
			
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					आदर्शवादी(दिन्)					 :
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					वि० [सं० आदर्शवाद+इनि] आदर्शवाद संबंधी। पुं० १. आदर्शवाद को मानने और उसके अनुसार चलनेवाला व्यक्ति। २. ऐसा कलाकर या लेखक जो काल्पनिक आदर्श को अपनी कृति का विषय बनाता हो। (आइडियलिस्ट, दोनों अर्थों में)				 | 
			
			
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					आदर्शित					 :
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					भू० कृ० [सं० आ√दृश्+णिच्+क्त] १. दिखलाया हुआ। प्रदर्शित। २. निर्देश किया हुआ। निर्दिष्ट।				 | 
			
			
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					आदर्शीकरण					 :
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					पुं० [सं० आदर्श+च्वि,ईत्व√कृ(करना)+ल्युट्-अन] किसी वस्तु कार्य आदि को आदर्श रूप देने की क्रिया या भाव। (आइडियलाइजेशन)				 | 
			
			
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