आसा/aasa

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आसा  : पुं० [अ० असा] सोने या चाँदी का डंडा जिसे सजावट के लिए राजा-महाराजाओं की सवारी, बरात आदि के आगे चोबदार लेकर चलते हैं। स्त्री० =आशा। स्त्री० =दिशा।
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आसा-बरदार  : पुं० [अ० असा+फा० बरदार] वह सेवक जो राजा की सवारी, जलूस, बरात आदि में शोभा के लिए आसा लेकर आगे-आगे चलता है।
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आसा-बल्लभ  : पुं० [हिं० आसा+बल्लभ-भाला] आसा या सोंटा और बल्लभ या भाला जो राजा की सवारी, बरात आदि में साथ-साथ आगे चलते हैं।
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आसा-वाद  : पुं० [ष० त०] [वि० आशावादी] वह लौकिक सिद्धांत जिसमें यह माना जाता है कि इस संसार में अंत में सब दोषों और बुराइयों का नाश होगा और उनपर सद्गुणों और सद्भावों को विजय प्राप्त होगी। निराशावाद का विपर्याय। (अप्टिमिज्म)
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आसाढ़  : पुं० =आषाढ़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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आसादान  : पुं० [सं० आ√सद्+णिच्+ल्युट्] [भू० कृ० आसादित] १. नीचे रखना। २. आक्रमण करना। ३. प्राप्त या हस्तगत करना।
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आसान  : वि० [फा०] [वि० आसानी] (काम) जो सहज में किया जा सकता हो। सरल। सुगम।
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आसानी  : स्त्री० [फा०] [वि० आसान] सरलता। सुगमता।
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आसाम  : पुं० [सं० असम] भारतीय गणराज्य का एक उत्तर-पूर्वी प्रदेश। असम राज्य। प्राचीन कामरूप देश।
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आसामी  : वि० [हिं० आसाम] १. आसाम या असम देश का। २. आसाम या असम-संबंधी। पुं० आसाम या असम देश का निवासी। स्त्री० आसाम या असम देश की भाषा।
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आसामुखी  : वि० [स० आशा+मुख] अपनी आशा की पूर्ति के लिए दूसरों का मुँह देखनेवाला। उदाहरण—जो जाकर अस आसामुखी। दुख महँ ऐसन मारै दुखी।—जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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आसार  : पुं० [सं० आ√सृ+घञ्] १. शत्रु को चारों ओर से घेरकर उस पर किया जानेवाला आक्रमण। २. मूसलाधार वृष्टि। ३. मेघ-माला। (डिं०) ४. युद्ध आदि में मित्रों से मिलनेवाली सहायता। ५. खाने-पीने की सामग्री। रसद। पुं० [अ०] १. चिह्न। निशान। २. किसी बात या व्यक्ति की भावी गति विधि आदि का लक्षण। ३. इमारत की नींव। ४. दीवार की चौड़ाई।
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आसावरी  : स्त्री० [?] १. प्रातःकाल। १ दंड से ५ दंड के बीच में गाई जानेवाली श्रीराग की एक रागिनी। २. एक प्रकार का सूती कपड़ा। पुं० एक प्रकार का कबूतर।
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