शब्द का अर्थ
|
उद्वर्त :
|
वि० [सं० उद्√वृत्(बरतना)+घञ्] १. बरतने के उपरांत जो अधिक या शेष बच रहे। २. जितना आवश्यक हो उससे अधिक। व्यय,लागत आदि की अपेक्षा मान, मूल्य आदि के विचार से अधिक (आय, मूल्यन आदि)। जैसे—उद्वर्त आय-व्ययिक-ऐसा आय-व्ययिक जिसमें व्यय की अपेक्षा आय अधिक दिखाई गयी हो। (सरप्लस बजट) ३. अतिरिक्त। ४. फालतू। पुं० मूल्य, मान आदि के विचार से जितना आवश्यक हो या साधारणतः जितना चाहिए, उसकी तुलना में होनेवाली अधिकता। अववर्त्त का विपर्याय। बढ़ती। बचती। (सरप्लस, सभी अर्थों या रूपों में)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वर्त :
|
वि० [सं० उद्√वृत्(बरतना)+घञ्] १. बरतने के उपरांत जो अधिक या शेष बच रहे। २. जितना आवश्यक हो उससे अधिक। व्यय,लागत आदि की अपेक्षा मान, मूल्य आदि के विचार से अधिक (आय, मूल्यन आदि)। जैसे—उद्वर्त आय-व्ययिक-ऐसा आय-व्ययिक जिसमें व्यय की अपेक्षा आय अधिक दिखाई गयी हो। (सरप्लस बजट) ३. अतिरिक्त। ४. फालतू। पुं० मूल्य, मान आदि के विचार से जितना आवश्यक हो या साधारणतः जितना चाहिए, उसकी तुलना में होनेवाली अधिकता। अववर्त्त का विपर्याय। बढ़ती। बचती। (सरप्लस, सभी अर्थों या रूपों में)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वर्तक :
|
वि० [सं० उद्√वृत्+ण्वुल-अक] १. उठानेवाला। २. उबटन लगानेवाला। ३. उद्वर्क। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वर्तक :
|
वि० [सं० उद्√वृत्+ण्वुल-अक] १. उठानेवाला। २. उबटन लगानेवाला। ३. उद्वर्क। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वर्तन :
|
पुं० [सं० उद्√वृत्+ल्युट-अन] १. ऊपर उठाना। २. उबटन, लेप आदि लगाना। ३. उबटन लेप आदि के रूप में लगाई जानेवाली चीज। ४. वर्द्धन। वृद्धि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वर्तन :
|
पुं० [सं० उद्√वृत्+ल्युट-अन] १. ऊपर उठाना। २. उबटन, लेप आदि लगाना। ३. उबटन लेप आदि के रूप में लगाई जानेवाली चीज। ४. वर्द्धन। वृद्धि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वर्तित :
|
भू० कृ० [सं० उद्√वृत्+णिच्+क्त] १. ऊँचा किया या उठाया हुआ। २. जिससे उबटन या लेप लगाया गया हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उद्वर्तित :
|
भू० कृ० [सं० उद्√वृत्+णिच्+क्त] १. ऊँचा किया या उठाया हुआ। २. जिससे उबटन या लेप लगाया गया हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |