शब्द का अर्थ
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					कंज					 :
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					पुं० [सं०√कम्जन्(उत्पन्न होना)+ड] १. कमल। २. ब्रह्मा। ३. अमृत। ४. सिर के बाल। केश। पुं० दे० ‘कंजा’ (कँटीली झाड़ी)।				 | 
			
			
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					कंज-नाभ					 :
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					पुं० [ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					कंजई					 :
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					वि० [हिं० कंजा] १. कंजे की फली के रंग का। कुछ नीलापन लिये काला। २. दे० ‘ककरेजी’ (रंग)। पुं० वह घोड़ा, जिसकी आँखे कंजे रंग की हों।				 | 
			
			
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					कंजक					 :
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					पुं० [सं० कंजकै (मालूम होना)+क] [स्त्री० कंजकी] एक प्रकार का पक्षी।				 | 
			
			
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					कंजका					 :
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					स्त्री० [सं० कन्यका] कुँवारी लड़की।				 | 
			
			
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					कंजज					 :
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					पुं० [सं० कंज्जन्+ड] ब्रह्मा।				 | 
			
			
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					कंजड़					 :
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					पुं०=कंजर।				 | 
			
			
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					कंजन					 :
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					पुं० [सं०√कम्जन्+णिच्+अण्] १. ब्रह्मा, जिनकी उत्पत्ति कमल से मानी गई है। २. कामदेव। ३. एक प्रकार का पक्षी।				 | 
			
			
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					कंजर					 :
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					पुं० [सं० कम्√जृ (जीर्ण होना)+विच्+अच्] १. सूर्य। २. हाथी। ३. उदर। ४. ब्रह्मा। ५. मोर। ६. संन्यासी। पुं० [हिं० कंचन] [स्त्री० कंजरिन्, कंजरी] एक प्रसिद्ध यायावर अनार्य और असभ्य जाति, जिसकी गणना अपराधशील जातियों में होती है। कहीं-कहीं इस जाति की स्त्रियाँ वेश्यावृत्ति भी करती हैं।				 | 
			
			
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					कंजरी					 :
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					स्त्री० [हिं० कंजर] १. कंजर जाति की स्त्री। २. रंडी। वेश्या (पश्चिम)।				 | 
			
			
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					कंजल					 :
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					पुं० [सं० कंज् (समर्थ होना)+कलच्] एक प्रकार का पक्षी।				 | 
			
			
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					कंजा					 :
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					पुं० [सं० करंज] एक कँटीली झाड़ी, जिसकी फली औषध के काम आती है। वि० [सं० कंजी] १. कंजे की फली के रंग का। गहरा खाकी। २. जिसकी आँखे उक्त रंग की हों।				 | 
			
			
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					कंजाभ					 :
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					वि० [सं० कंज-आभा, ब० स०] कमल के समान आभा या कांतिवाला। पुं० कमल जैसी आभा या कांति।				 | 
			
			
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					कंजार					 :
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					पुं० [सं० कम्√जृ+णिच्+अण्] दे० ‘कंजर’।				 | 
			
			
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					कंजारण्य					 :
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					पुं० [सं० कंज-अरण्य, ष० त०] कमलों का वन।				 | 
			
			
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					कंजावलि					 :
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					स्त्री० [कंज-आवलि, ब० स०] एक वर्णवृत्त, जिसके प्रत्येक चरण में भगण, नगण दो जगण और अंत में एक लघु होता है।				 | 
			
			
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					कंजास					 :
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					पुं० [?] कूड़ा-कर्कट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कंजिका					 :
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					स्त्री० [सं० कंज्+ण्वुल्-अक, टाप्, इत्व] एक प्रकार का पौधा।				 | 
			
			
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					कँजियाना					 :
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					अ० [हिं० कंजा] १. कंजई रंग का बनना या होना, कुछ नीलापन लिए काला पड़ना। २. दहकते हुए उपले या कोयलों का बुझना या बुझने को होना। झँवाना।				 | 
			
			
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					कँजुवा					 :
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					पुं०=कँड़वा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कंजूस					 :
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					पुं० [सं० कण+हिं० जूस] [भाव० कंजूसी] ऐसा व्यक्ति, जो पास में धन होने पर भी अपनी आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसका उपयोग न करता हो अथवा जो कष्ट सहकर और हीन अवस्था में रहकर भी धन का संग्रह करता चलता हो। कृपण। सूम।				 | 
			
			
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					कंजूसी					 :
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					स्त्री० [हिं० कंजूस] कंजूस होने की अवस्था, गुण या भाव।				 | 
			
			
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					कँजैला					 :
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					वि० [हिं० काँदाकीचड़+ला(प्रत्य)] १. कीचड़ से भरा हुआ। २. गंदा। मलिन।				 | 
			
			
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