शब्द का अर्थ
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					कबंध					 :
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					पुं० [सं० क√बंध् (बंधन)+अण्] १. ऐसा खाली धड़ जिसके ऊपर का सिर कट गया हो। रुंड। २. राहु नासक ग्रह जिसका सिर कटकर अलग हो चुका था। ३. पुराणानुसार एक प्रसिद्ध राक्षस जिसका सिर उसके धड़ के ऊपर नहीं, बल्कि उसके पेट के अन्दर था और जिसे रामचन्द्र ने दंडतवन में मारा था। ४. प्राचीन भारत में ऐसा योद्धा जो सिर कट जाने पर खाली धड़ से ही कुछ समय तक तलवार चलाता या लड़ता रहता था। ५. उदर। पेट। ६. बादल। मेघ। ७. जल। पानी। ८. एक प्रकार के केतु जो गिनती में 8 कहे गये हैं। ९. एक प्राचीन मुनि का नाम।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					कबंधज					 :
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					पुं० [सं० कबंध√जन् (उत्पन्न होता)+ड] वह व्यक्ति जिसका जन्म ऐसे कुल में हुआ हो जिसके किसी पूर्वज ने सिर कट जाने पर भी धड़ से ही युद्ध किया हो। कबंध के वंशज। जैसे—जोधपुर के राठौर कबंधज हैं।				 | 
			
			
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					कबंधी (धिन्)					 :
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					पुं० [सं० कबंध+इनि] १. मरुत्। २. कात्यायन ऋषि।				 | 
			
			
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