शब्द का अर्थ
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					कबा					 :
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					पुं० [अ०] चोगे की तरह का एक प्रकार का लंबा ढीला पहनावा।				 | 
			
			
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					कबाई					 :
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					पुं०=कब। स्त्री०=कब्र। (राज०) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कबाड					 :
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					पुं० [सं० कर्पट, प्रा० कप्पट=चिथड़ा] १. टूटी-फूटी या व्यर्थ की वस्तुओं का ढेर। २. अंड-बंड काम या व्यवसाय।				 | 
			
			
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					कबाड़खाना					 :
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					पुं० [हिं०+फा०] १. वह स्थान जहाँ अनेक प्रकार की बहुत-सी टूटी-फूटी तथा व्यर्थ की वस्तुएँ रखी गई हों। २. ऐसा स्थान जहां बहुत-सी चीजें अव्यवस्थित रूप में बिखरी पड़ी हों।				 | 
			
			
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					कबाड़ा					 :
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					पुं० [हिं० कबाड] १. कूड़ा-कर्कट। २. झंझट। बखेड़ा। ३. अनुपयोगी या व्यर्थ का काम। उदा०—नहिं जानऊँ कछु अउर कबारू (कबाड़ा)।—तुलसी।				 | 
			
			
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					कबाड़िया					 :
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					पुं० [हिं० कबाड़] १. वह जिसका व्यवसाय टूटी-फूटी या पुरानी वस्तुएँ खरीदना तथा बेचना हो। २. तुच्छ या निकृष्ट कार्य अथवा व्यवसाय करनेवाला व्यक्ति। वि० १. झगड़ालू। २. क्षुद्र। नीच।				 | 
			
			
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					कबाड़ी					 :
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					पुं०=कबाड़िया।				 | 
			
			
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					कबाब					 :
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					पुं० [अ०] सीकों पर भूनकर पकाया हुआ मांस। मुहा०—कबाब करना=बहुत कष्ट या दुःख देना। संतप्त करना। जलाना। कबाब होना=क्रोध से जल-भुन जाना। जैसे—मेरी बात सुनते ही वह कबाब हो गये।				 | 
			
			
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					कबाब-चीनी					 :
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					स्त्री० [अ० कबाबा+हिं० चीनी] एक प्रकार की झाड़ी और उसके गोल छोटे दाने जो दवा के काम आते हैं।				 | 
			
			
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					कबाबी					 :
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					वि० [अ० कबाब] १. कबाब बनाने तथा बेचनेवाला। २. कबाब खानेवाला। मांसभक्षी। जैसे—शराबी, कबाबी।				 | 
			
			
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					कबाय					 :
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					=कबा (पहनावा)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कबायली					 :
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					पुं० [अ०] १. काबुल का रहनेवाला व्यक्ति। (काबुली)। २. पश्चिमी पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में कुछ फिरकों के व्यक्ति। ३. किसी कबीले का आदमी। (दे० ‘कबीला’)				 | 
			
			
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					कबार					 :
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					पुं० १.=कबाड़। २. दे० ‘कारोबार’। पुं० [देश०] एक प्रकार की झाड़ी या छोटा-पेड़।				 | 
			
			
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					कबारना					 :
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					स०=उखाड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कबारा					 :
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					पुं०=कबाड़ा।				 | 
			
			
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					कबाल					 :
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					स्त्री० [देश०] खजूर का रेशा जिससे रस्से आदि बनते हैं।				 | 
			
			
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					कबाहट					 :
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					स्त्री० दे० ‘कबाहत’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कबाहत					 :
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					स्त्री० [अ०] १. बुराई। खराबी। २. कठिनता। मुश्किल। ३. अड़चन। बाधा। ४. झंझट। बखेड़ा।				 | 
			
			
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