शब्द का अर्थ
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					कसी					 :
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					पुं० [सं० कशकु] गवेधुक नाम का पौधा। स्त्री० १. =कस्सी। २. =कुसी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					कसीटना					 :
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					स० [सं० कष्] १. कसना। २. रोकना। उदाहरण—प्राण ही कूँ धारि धारणा कसीटियतु है।—सुन्दर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कसीदा					 :
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					पुं० [फा० कशीदः] १. कपड़े पर सूई-डोरे से पशु पक्षियों के चित्र, बेल-बूटे आदि काढ़ने या बनाने का काम। २. लाक्षणिक अर्थ में ऐसा महीन काम जिसे पूरा करने में आँखों पर बहुत जोर पड़ता हो। क्रि० प्र०-काढ़ना।—निकालना। पुं० [अ० कसीदः] उर्दू फारसी आदि की एक प्रकार की कविता, जिसमें प्रायः किसी की स्तुति या निन्दा होती है। (इसमें क्रम से १७ पंक्तियों का होना आवश्यक माना गया है।)				 | 
			
			
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					कसीर					 :
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					वि० [अ] मान-मात्रा, संख्या आदि के विचार से बहुत अधिक प्रचुर।				 | 
			
			
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					कसीस					 :
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					पुं० [सं० कासीस] एक प्रकार का खनिज पदार्थ जो लोहे का विकारी रूप होता है। (विट्रिआल)। स्त्री० [फा० काशिश, मि० सं० कर्ष] १. आकर्षण। खिंचाव। २. तनाव। ३. कठोरता और निर्दयता का व्यवहार। उदाहरण—सजीवन हौ, करौ पै कसीसै।—आनन्दघन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कसीसना					 :
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					स० [फा० कशिश, हिं० कसीस] १. खींचना। २. चढ़ाना या तानना। उदाहरण—सांस हिएँ न समाय सकोचनि, हाय इते पर बान कसीयत।—घनानंद।				 | 
			
			
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