शब्द का अर्थ
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					कार्ष					 :
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					पुं० [सं० कृषि+ण] कृषक। खेतिहर।				 | 
			
			
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					कार्षक					 :
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					पुं० [सं० कार्ष+कन् या√कृष्+क्वुन्-अक, वृद्धि]=कार्य।				 | 
			
			
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					कार्षापण					 :
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					पुं० [सं० कार्य आपण, ष० त० या ब० स०] एक प्रकार का पुराना सिक्का जो पहले ताँबे का बनता था, पर आगे चलकर चांदी और सोने का भी बनने लगा था।				 | 
			
			
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					कार्षिक					 :
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					पुं० [सं० कर्ष+ठञ्-इक]=कार्षापण।				 | 
			
			
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					कार्ष्ण					 :
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					वि० [सं० कृष्ण+अण्] १. कृष्ण-संबंधी। कृष्ण का। २. कृष्ण द्वैपायन-संबंधी। ३. कृष्ण मृग-संबंधी।				 | 
			
			
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					कार्ष्णायन					 :
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					पुं० [सं० कृष्ण+फक्-आयन०] १. व्यासवंशीय ब्राह्मण। २. वसिष्ठ गोत्र का ब्राह्मण।				 | 
			
			
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					कार्ष्णि					 :
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					पुं० [सं० कृष्ण+ष्यञ्] १. कृष्ण का पुत्र, प्रद्युम्न। २. कामदेव।				 | 
			
			
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