शब्द का अर्थ
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					चख					 :
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					पुं० [सं० चक्षुस्] आँख। पुं० [अनु०] झगड़ा। तकरार। पद-चख-चख=कहा-सुनी या बक-बक। झगड़ा और तरकार। पुं०= नीलकंठ (पक्षी)। २.= गिलहरी।				 | 
			
			
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					चख-चख					 :
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					स्त्री० [अनु०] १. दो व्यक्तियों या पक्षों में किसी बात पर होनेवाली कहा-सुनी। झगड़ा। २. कलह।				 | 
			
			
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					चखचौंध					 :
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					स्त्री०=चकाचौंध।				 | 
			
			
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					चखना					 :
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					सं० [प्रा० चक्ख, चड्ड, बँ० चाखा, उ० चाखिबा, पं० चक्खणा, मरा० चाखणें] १. किसी खाद्य वस्तु का स्वाद जानने के लिए उसका थोड़ा सा अंश मुँह में रखना या खाना। चीखना। २. किसी चीज या बात की साधारण अनुमति प्राप्त करना। जैसे–लड़ाई का मज़ा चखना।				 | 
			
			
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					चखा					 :
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					पुं० [हिं० चखना] १. चखनेवाला। २. रस का आस्वादन करनेवाला। प्रेमी। रसिक। उदाहरण–विपिन बिहारी दोउ लसत एक रूप सिंगार। जुगल रस के चखा।-सत्यनारायण।				 | 
			
			
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					चखा-चखी					 :
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					स्त्री० [फा० चख-झगड़ा] १. जोरों का या बहुत अधिक लड़ाई-झगड़ा या तकरार। २. बहुत अधिक वैर-विरोध या लाग-डाँट।				 | 
			
			
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					चखाना					 :
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					स० [हिं० चखना० का प्रे०] किसी को कुछ चखने में प्रवृत्त करना।				 | 
			
			
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					चखिया					 :
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					वि० [फा० चख=झगड़ा] चख-चख या तकरार करनेवाला। झगड़ालू।				 | 
			
			
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					चखु					 :
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					पुं०=चक्षु।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					चखोड़ा					 :
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					पुं० [हिं० चख+ओड़] बुरी नजर से बचाने के लिए लगाई जानेवाली काली बिंदी। डिठौना। उदाहरण–बनि रहे रुचिर चखोड़ा गाल।-नंददास।				 | 
			
			
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					चखौती					 :
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					स्त्री० [हिं० चखना] खाने-पीने की चट-पटी और स्वादिष्ट चीजें।				 | 
			
			
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