छलक/chhalak

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छलक  : स्त्री० [हिं० छलकना] छलकने की क्रिया या भाव।
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छलकन  : स्त्री० [हिं० छलकना] १. छलक। २. वह अंश जो छलक कर गिरे।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
छलकना  : अ० [सं० क्षल्] १. किसी तरल पदार्थ का अपने आधान या पात्र में पूरी तरह से भर जाने पर उमड़कर इधर-उधर गिरना या गिरने को होना। जैसे–आँखों में आँसू छलकना। २. किसी पात्र में रखे हुए तरल पदार्थ का (पात्र के हिलने पर) झटके से उछलकर पात्र से बाहर गिरना। ३. लाक्षणिक रूप में, किसी चीज का किसी बात से पूरी तरह से भर जाने या युक्त होने पर चारों ओर फूटना या फैला हुआ दिखाई पड़ना। जैसे–आँखों या हृदय में स्नेह छलकना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
छलकाना  : स० हिं० ‘छलकना’ का स० रूप।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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