| शब्द का अर्थ | 
					
				| जड़ा					 : | स्त्री० [सं० जड़+णिच्+अच्–टाप्] १. भुईंआमला। २. केवाँच। कौंछ। | 
			
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				| जड़ाई					 : | स्त्री० [हिं० जड़ना] जड़ने की क्रिया, भाव या मजदूरी। स्त्री०=जड़ता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| जड़ाऊ					 : | वि० [हिं० जड़ना] (वह आभूषण) जिसमें नग, मोती, रत्न आदि जड़े हुए हों। | 
			
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				| जड़ान					 : | स्त्री० [हिं० जड़ना] जड़े जाने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| जड़ाना					 : | स०=जड़वाना। अ०=जड़ा जाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अ० [हिं० जाड़ा] सरदी से ठिठुरना। उदाहरण–नगन जड़ाती ते अब नगन जड़ाती हैं।–भूषण। | 
			
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				| जड़ाव					 : | पुं० [हिं० जड़ना] जड़ने या जड़े जाने की क्रिया, ढंग या भाव। | 
			
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				| जड़ावट					 : | स्त्री०=जड़ाव। | 
			
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				| जड़ावर					 : | पुं० [हिं० जाड़ा] १. जाड़े में पहनने के वस्त्र। २. वे वस्त्र जो किसी कर्मचारी को अथवा नौकर, मजदूर आदि को पहनने के लिए जाड़े के दिनों में दिये जाते हैं। | 
			
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				| जड़ावर्त्त					 : | पुं० [सं० जड़-आवर्त्त, ष० त०] दार्शनिक और धार्मिक क्षेत्रों में अज्ञान का आवर्त्त या चक्कर। | 
			
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				| जड़ावल					 : | पुं०=जड़ावर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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