शब्द का अर्थ
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जै :
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स्त्री०=जय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि०=जितने।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जैकरी :
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पं०=जयकरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जैकार :
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स्त्री०=जयकार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जैगीषव्य :
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पुं० [सं० जिगीषु+यञ्] एक मुनि जो योग शास्त्र के वेत्ता थे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जैजैकार :
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स्त्री=जयजयकार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जैजैय :
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पुं० [सं० जीव+ढक्-एय] बृहस्पति के पुत्र कच। |
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समानार्थी शब्द-
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जैजैवंती :
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स्त्री० [सं० जयजयवंती] प्रातः काल गाई जानेवाली भैरव राग की एक रागिनी। |
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जैढक :
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पुं० [सं० जय+हिं० ढक्का] एक प्रकार का बड़ा ढोल। जंगी ढोल। |
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जैत :
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स्त्री० [सं० जिति] जीत। जय। विजय। पुं० [सं० जयंती] अगस्त की तरह का एक पेड़। पुं०=जैतून।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जैतपत्र :
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पुं० [सं० जितिपत्र] जयपत्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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जैतवार :
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वि० [सं० जित्वर] जीतनेवाला। बिजली। उदाहरण–सूर सरदार जैतवार दिगपालन कौ।–सेनापति। |
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जैतश्री :
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स्त्री० [सं० जितिश्री] एक रागिनी। |
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जैंता :
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पुं० [सं० जयंती] जैत का पेड़। |
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जैती :
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स्त्री० [सं० जवंतिका] एक तरह की घास। |
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जैतू :
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पुं० [अ०] जैतून का तेल। |
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जैतून :
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पुं० [अ०] १. एक सदाबहार पेड़ जिसके फल दवा के काम आते हैं। २. उक्त वृक्ष के फल अथवा उनका तेल जो दवा के काम आता है। |
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जैत्र :
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पुं० [सं० जेतृ+अण्] [स्त्री० जैत्री] १. विजेता। विजयी। २. पारा। ३. औषध। दवा। |
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जैत्री :
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स्त्री० [सं० जैत्र+ङीष्] जैत का पेड़। जयंती। |
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जैन :
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पुं० [सं० जिन+अण्] १. भारत का एक प्रसिद्ध अनीश्वरवादी धार्मिक संप्रदाय जिसका प्रवर्त्तन महावीर स्वामी ने बुद्ध के समय में किया था। २. उक्त धार्मिक संप्रदाय का व्यक्ति। |
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जैनी :
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वि० [हिं० जैन] १. जैन धर्म संबंधी। २. जैनियों का। पुं० जैन धर्म को माननेवाला व्यक्ति। जैन–धर्मावलंबी। |
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जैनु :
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पुं० [हिं० जेवना] आहार। भोजन। |
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जैन्य :
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वि० [सं० जैन+यत्] जैन संबंधी। |
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जैपत्र :
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पुं०=जयपत्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जैफर :
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पुं०=जायफल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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जैबो :
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अ०=जाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जैमंगल :
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पुं० [सं० जयमंगल] १. एक तरह का वृक्ष। जयमंगल। २. राजा की सवारी का हाथी। |
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जैमाल (ा) :
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स्त्री०=जयमाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जैमिनि :
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पुं० [सं०] एक ऋषि जो महर्षि वेद व्यास के शिष्य तथा जो पूर्व मीमांसा के रचयिता थे। |
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जैमिनीय :
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वि० [सं० जैमिनि+छ-ईय] १. जैमिनी संबंधी। २. जैमिनी द्वारा बनाया हुआ। जैमिनीकृत। |
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जैयद :
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वि० [अ० जद्द-बहुत बड़ा] १. बहुत बड़ा या भारी। २. प्रचंड। प्रबल। ३. घोर। विकट। |
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जैल :
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पुं० [अ०] १. पहनने के कपड़े का अगला भाग। आगा। दामन। २. नीचे की ओर का अंश या स्थान। ३. किसी मद, विभाग या शीर्षक के अंतर्गत आनेवाली बातें। ४. इलाका। भू-भाग। |
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जैलदार :
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पुं० [अ० जैल+फा० दार] मुसलिम शासन-काल में किसी इलाके का प्रधान शासनिक अधिकारी। |
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जैव :
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वि० [सं० जीव+अण्] १. जीव संबंधी। जीव का। २. जीवों से उत्पन्न होने, निकलने, बनने या मिलनेवाला। ३. बृहस्पति संबंधी। पुं० १. बृहस्पति के क्षेत्र में पड़नेवाली धनु राशि और मीन राशि। २. पुष्य नक्षत्र। |
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जैवातृक :
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पुं० [सं०√जीव (जीना)+णिच्+आतृ+कन्] १. कपूर। २. चंद्रमा। ३. औषधि। दवा। वि० बड़ी उमरवाला। दीर्घायु। |
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जैस :
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वि०=जैसा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जैसवार :
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पुं०=जायसवाल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जैसा :
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वि० [सं० यादृश्, प्रा० जारिस, पैशा० जइस्सो] [स्त्री० जैसी] १. जिस आकार-प्रकार या रूप-रंग का। जिस तरह का। पद–जैसा का तैसा=जिस रूप में पहले था, वैसा ही। जैसे को तैसा-(क) जोड़ या मुकाबले का। (ख) पूरी शक्ति से जबाव देने या सामना करनेवाला। जैसे उपयुक्त या समीचीन हो। जैसा होना चाहिए या होता हो। मुहावरा–(किसी की) जैसी की तैसी करना=किसी को शेखी दूर करके उसे फिर पूर्व अवस्था या रूप में कर दिखाना। (उपेक्षा और तिरस्कारसूचक)। २. समान। सदृश। ३. जितना। (क्व०) जैसे–अव्य० [हिं० जैसा] १. जिस तरह से। जिस प्रकार। पद–जैसे–जैसे–जिस क्रम से। ज्यों ज्यों। जैसे–तैसे-(क) बहुत ही साधारण या तुच्छ रूप में। किसी प्रकार। जैसे–यह तो जैसे–तैसे काम चलता करता है। (ख) बहुत कुछ कठिनता से। जैसे–जैसे–तैसे यह झगड़ा भी खतम हुआ। जैसे बने वैसे-जिस प्रकार संभव हो। जिस तरह हो सके। ३. उदाहरणार्थ। यथा। |
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जैसो :
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वि०=जैसा। |
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