झरन/jharan

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शब्द का अर्थ

झरन  : स्त्री० [हिं० झरना०] १. झरने की क्रिया या भाव। २. झर कर निकलनेवाली या निकली हुई चीज। ३. दे० ‘झड़न’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
झरना  : पुं० [सं० क्षर] [स्त्री० अल्पा० झरनी] १. पहाड़ों आदि में ऊँचे स्थान से नीचे गिरनेवाला जल प्रवाह।। २. लगातार बहनेवाली पानी की कोई प्राकृतिक छोटी जल-धारा। चश्मा। सोता। ३. कपड़ों की बुनाई का वह प्रकार जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूर पर दूसरे रंग के सूत इस प्रकार लगाये जाते हैं जो देखनें में धाराओं के समान जान पड़ते हों। जैसे–झऱने की साड़ी। वि० झरनेवाला। वि० झरनेवाला। अ० ऊँचे स्थान से पानी या और किसी चीज का लगातार नीचे गिरना। पुं० [सं० क्षरण०] [स्त्री० अल्पा० झरनी] १. अनाज छानने की एक प्रकार की बड़ी छलनी। २. लंबी डंडी की एक झँझरीदार चिपटी कलछी। पौना। अ=झड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
झरनी  : स्त्री० हिं० झरना का स्त्री अल्पा० रूप।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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