शब्द का अर्थ
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टका :
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पुं० [सं० टंक] १. प्राचीन भारत में चाँदी का एक सिक्का जो प्रायः आज-कल के एक रुपये के बराबर होता था। २. उक्त के आधार पर वैद्यक में तीन तोले की तौल। ३. अँगरेजी शासन में ताँबे का एक सिक्का जो दो पैसे मूल्य का होता था अधन्ना। पद–टका भर=बहुत ही अल्प या थोड़ी मात्रा में। जैसे–टका भर घी दे दो। टका सा=बहुत ही छोटा, तुच्छ थोड़ा या हीन। जैसे–टके सी जान, और इतना गुमान। टके गज की चाल=(क) बहुत ही मद्धिम या सामान्य अथवा पुराने ढंग की चाल-ढाल या रहन-सहन। जैसे–वह तो जनम भर वही टके गज की चाल चलते रहे। (ख) बहुत ही धीमी गति या सुस्त चाल। जैसे–छोटी लाइन की गाडियाँ तो बस वही टके की चाल चलती हैं। मुहावरा–टका सा जबाव देना=उसी प्रकार तिरस्कारपूर्वक और नकारात्मक उत्तर देना जैसे किसी भिक्षुक के आगे टका फेंका जाता था। इनकार करते हुए साफ जबाव देना। टका सा मुँह लेकर रह जाना-अपमानित या तिरस्कृत होने पर लज्जित भाव से चुप रह जाना। ४. धन-संपत्ति। रुपया-पैसा। ५. गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों की एक तौल जो प्रायः सवा सेर के लगभग होती है। |
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समानार्थी शब्द-
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टका-तोप :
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स्त्री० [देश०] समुद्री जहाजों पर की एक प्रकार की छोटी तोप। |
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टकाई :
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वि० स्त्री०=टकाहाई। (टकहाया का स्त्री० रूप)। स्त्री०=टकासी। |
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टकाना :
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स०=टँकवाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टकानी :
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स्त्री०=टेकानी। |
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टकासी :
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स्त्री० [हिं० टका] १. एक रुपये पर प्रतिमास दो पैसे का सूद या ब्याज देने लेने का एक ढंग। २. मध्य युग में व्यक्ति पीछे एक टके के हिसाब से लगनेवाला कर या चंदा। स्त्री० =टकहाई। |
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टकाहा :
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वि० [हिं० टका] [स्त्री० टकाही] टके-टके पर बिकने या मिलनेवाला अर्थात् बहुत ही तुच्छ या हीन। जैसे–टकाहा कपड़ा, टकाही रंडी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टकाही :
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वि० हिं० ‘टकाहा’ का स्त्री० रूप। स्त्री० बहुत ही निम्म कोटि की वेश्या या दुश्चरित्रा स्त्री। स्त्री० दे० ‘टकासी’। |
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