ठिक/thik

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शब्द का अर्थ

ठिक  : स्त्री० [हिं० टिकिया] धातु की चद्दर का कटा हुआ छोटा टुकड़ा जो जोड़ आदि लगाने के काम आता है। थिगली। चकती। वि०–ठीक। स्त्री०–स्थिरता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ठिक-ठान  : पुं०=ठौर-ठिकाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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ठिकठैन  : वि० [हिं० ठीक+ठयना] १. ठीक। २. सुन्दर। स्त्री० १. ठीक या उत्तम व्यवस्था। २. आयोजन।
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ठिकड़ा  : पुं० [स्त्री० ठिकड़ी]=ठीकरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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ठिकना  : अ० १.=टिकना। २. किसी स्थान पर जमकर बैठना। (दलाल) ३. ठिठकना।
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ठिकरा  : पुं० [स्त्री० ठिकरी]=ठीकरा।
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ठिकरौर  : वि० [हिं० ठीकरा] ठीकरों से युक्त। पुं० ऐसा स्थान जहाँ बहुत से ठीकरे पड़े हुए हों।
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ठिकाई  : स्त्री० [हिं० ठीक] १. ठीक होने की अवस्था या भाव। २. पाल के यथा स्थान जमकर ठीक बैठने की अवस्था या भाव। (लश०)।
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ठिकान  : स्त्री० [हिं० ठिकना] ठिकाने की अवस्था, क्रिया या भाव। पुं०=ठिकाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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ठिकाना  : पुं० [हिं० टिकान या टिथान] १. टिकने अर्थात् ठहरने का उपयुक्त स्थान। २. वह जगह जहाँ कुछ या कोई टिक, ठहर या रह सके। जैसे–पहले तो इनके लिए कोई ठिकाना ढूँढ़ना चाहिए। ३. अवलंब, आश्रय सहारे आदि का उपयुक्त या काम-चलाऊ द्वार, साधन या स्थान। जैसे–कोई नौकरी मिले तो यहाँ रहने का ठिकाना हो जाय। क्रि० प्र०–निकलना।–मिलना।–लगना। ४. टिकने, ठहरने या रहने की नियत, निश्चित या स्थिर स्थान। जैसे–पहले इनका पता-ठिकाना तो पूछ लो। ५. किसी चीज या बात का वह उचित या उपयुक्त स्थान जहाँ उसे रहना या होना चाहिए। क्रि० प्र०–मिलना।–लगना। मुहावरा–(किसी चीज बात या व्यक्ति) ठिकाने आना=जहाँ रहना या होना चाहिए, वहाँ आना या पहुँचना। जैसे–(क) जब ठोकर खाओगे, तब अक्ल ठिकाने आवेगी अर्थात् जैसी होनी चाहिए, वैसी हो जायगी। (ख) इतना समझाने पर अब आप ठिकाने आये हैं, अर्थात् मूल तत्त्व या वास्तविक तथ्य की बात अथवा विचार तक पहुँचे हैं। (कोई काम या बात) ठिकाने पहुँचाना या लगाना=उचित रूप से पूरा या समाप्त करना। जैसे–जो काम हाथ में लिया है, उसे पहले ठिकाने पहुँचाओ (या लगाओ) (कोई काम या उसके लिए किया जानेवाला परिश्रम) ठिकाने लगना-सफल या सार्थक होना। जैसे–आपका काम हो जाय तो सारी मेहनत ठिकाने लगे। (कोई चीज) ठिकाने लगाना=(क) उपयोग या व्यवहार करके सफल या सार्थक करना। जैसे–जितना भोजन बनाकर रखा है, वह सब ठिकाने लगाओं (ख) दुरुपयोग करके नष्ट या समाप्त करना। (व्यंग्य) जैसे–कुछ ही दिनों में उसने बाप-दादा की सारी कमाई ठिकाने लगा दी। (किसी व्यक्ति को) ठिकाने पहुँचाना या लगाना=किसी प्रकार मार डालना या समाप्त कर देना। जैसे–महीनों से जो लोग उसके पीछे पड़े थे, उन्होनें उसे ठिकाने लगाया अर्थात् मार डाला। पद–ठिकाने की बात=ऐसी बात जो हर तरह से उचित या न्याय संगत हो। ६. राजा की ओर से सरदार को मिली हुई जागीर। (राजस्थान) ७. किसी कथन या बात की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता जैसे–इनकी बातों का कोई ठिकाना नहीं। ८. अस्तित्व, आधार आदि की दृढ़ता या पुष्टता। जैसे–इनके जीवन का अब कोई ठिकाना नहीं। ९. चरम सीमा या आखिरी हद अंत। पार। जैसे–उसकी नींचता का कोई ठिकाना नहीं। स० १. टिकने, ठहरने या स्थिर होने में प्रवृत्त करना अथवा सहायक होना। २. गुप्त रूप से या छिपाकर दबा रखना या ले लेना। हथियाना। (दलाल) जैसे–एक रुपया उसने धीरे से उठाकर कमर (या जेब) में ठिका लिया। ३. किसी स्त्री को गुप्त रूप से उपपत्नी बनाकर रख लेना। (बाजारू) जैसे–उसने दो औरतें ठिकाई हुई हैं।
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ठिकानेदार  : पुं० [हिं० ठिकाना+फा० दार] किसी ठिकाने या जागीर का स्वामी (राजस्थान)।
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ठिकियाना  : स० [हिं० ठीक+इयाना(प्रत्यय)] ठीक करना।
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