ता-प्रत्यय/ta-pratyay

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ता-प्रत्यय  : [सं० तल और टाप् से निष्पन्न] एक प्रत्यय जिससे विशेषणों और संज्ञाओं के भाववाचक रूप बनाये जाते हैं। जैसे–विसेष से विशेषता मानव से मानवता। अव्य० [फा०] तक। पर्यन्त। सर्व० [सं० तद्०] उस। वि०–उस।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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