| शब्द का अर्थ | 
					
				| निमिष					 : | पुं० [सं० नि√मिष् (आँख खोलना)+क] १. पलकों का गिरना या बंद होना। आँखें मिचना। निमेष। २. काल या समय का उतना मान जितना एक बार पलक गिरने या झपकने में लगता है। ३. सुश्रुत के अनुसार पलकों में होनेवाला एक प्रकार का रोग। ४. खिले हुए फूलों का मुँह बन्द होना। ५. विष्णु। | 
			
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				| निमिष-क्षेत्र					 : | पुं० [सं० मध्य० स० या ष० त०] नैमिषारण्य। | 
			
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				| निमिषांतर					 : | पुं० [सं० निमिष-अंतर, ष० त०] पलक गिरने या मारने का समय। | 
			
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				| निमिषित					 : | भू० कृ० [सं० नि√मिष्+क्त] निमीलित। भिचा या मुँदा हुआ। | 
			
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