पछाड़/pachhaad

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पछाड़  : स्त्री० [हिं० पछाड़ना] १. पछाड़ना की क्रिया या भाव। २. पछाड़े जाने की अवस्था या भाव। ३. वह अवस्था जिसमें मनुष्य बहुत बड़े शोक का आघात होने पर खड़ा-खड़ा एक दम से जमीन पर गिर जाता और प्रायः बेसुध-सा हो जाता है। मुहा०—पछाड़ खाकर गिरना=बहुत अधिक शोकाकुल होने के कारण खड़े-खड़े बेसुध होकर गिरना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पछाड़ना  : स० [सं० प्रक्षालन] धोकर साफ करने के लिए किसी कपड़े को जोर जोर से जमीन या पत्थर पर पटकना। स० [हिं० पीछे+ढकेलना] १. कुश्ती आदि में किसी को जमीन पर चित गिराना और उसे जीतना। २. किसी प्रकार की प्रतियोगिता,वादविवाद आदि में किसी को बुरी तरह से नीचा दिखाना,परास्त करना या हराना। संयो० क्रि०—डालना।—देना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पछाड़ी  : स्त्री०=पिछाड़ी। (पिछला भाग)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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