पहचान/pahachaan

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पहचान  : स्त्री० [सं० प्रत्यभिज्ञान या परिचय] १. पहचानने की क्रिया, भाव या शक्ति। २. कोई ऐसा चिह्न या लक्षण जिससे पता चले कि यह अमुक व्यक्ति या वस्तु है। जैसे—अपने कपड़े (या लड़के) की कोई पहचान बतलाओ। ३. किसी वस्तु की अच्छाई, बुराई, टिकाऊपन, स्वाद आदि देख-भाल कर जान लेने की शक्ति। जैसे—आम, कपड़े, घी आदि की पहचान। ४. जीव या व्यक्ति के संबंध में, उसके आकार, चेष्टाओं, बातों आदि से उसका वास्तविक रूप अनुमानित करने की समर्थता। जैसे—आदमी या घोड़े की पहचान। ५. दे० ‘जानपहचान’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहचान  : स्त्री० [सं० प्रत्यभिज्ञान या परिचय] १. पहचानने की क्रिया, भाव या शक्ति। २. कोई ऐसा चिह्न या लक्षण जिससे पता चले कि यह अमुक व्यक्ति या वस्तु है। जैसे—अपने कपड़े (या लड़के) की कोई पहचान बतलाओ। ३. किसी वस्तु की अच्छाई, बुराई, टिकाऊपन, स्वाद आदि देख-भाल कर जान लेने की शक्ति। जैसे—आम, कपड़े, घी आदि की पहचान। ४. जीव या व्यक्ति के संबंध में, उसके आकार, चेष्टाओं, बातों आदि से उसका वास्तविक रूप अनुमानित करने की समर्थता। जैसे—आदमी या घोड़े की पहचान। ५. दे० ‘जानपहचान’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहचानना  : स० [हिं० पहचान] १. किसी पस्तु या व्यक्ति को देखते ही उसके चिह्नों, लक्षणों, रूप-रंग के आधार पर यह जान या समझ लेना कि यह अमुक व्यक्ति या वस्तु है। यह समझना कि वह यही वस्तु या व्यक्ति है जिसे मैं पहले से जानता हूँ। जैसे—मैं उसके कपड़े पहचानता हूँ। संयो० क्रि०—जानना।—लेना। २. एक वस्तु का दूसरी वस्तु से भेद करना। अंतर समझना या जानना। बिलगाना। जैसे—असल या नकल को पहचानना सहज नहीं है। ३. किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण-दोषों, योग्यताओं आदि से भली-भाँति परिचित रहना। जैसे—तुम भले ही उनकी बातों में आ जाओ; पर मैं उन्हें अच्छी तरह पहचानता हूँ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहचानना  : स० [हिं० पहचान] १. किसी पस्तु या व्यक्ति को देखते ही उसके चिह्नों, लक्षणों, रूप-रंग के आधार पर यह जान या समझ लेना कि यह अमुक व्यक्ति या वस्तु है। यह समझना कि वह यही वस्तु या व्यक्ति है जिसे मैं पहले से जानता हूँ। जैसे—मैं उसके कपड़े पहचानता हूँ। संयो० क्रि०—जानना।—लेना। २. एक वस्तु का दूसरी वस्तु से भेद करना। अंतर समझना या जानना। बिलगाना। जैसे—असल या नकल को पहचानना सहज नहीं है। ३. किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण-दोषों, योग्यताओं आदि से भली-भाँति परिचित रहना। जैसे—तुम भले ही उनकी बातों में आ जाओ; पर मैं उन्हें अच्छी तरह पहचानता हूँ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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