शब्द का अर्थ
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पीन :
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वि० [सं०√प्याय (बढ़ाना)+क्त, संप्रसारण, नत्व, दीर्घ] [भाव० पीनता] १. आकार-प्रकार की दृष्टि से भारी-भरकम। दीर्घकाय। बहुत बड़ा और मोटा। २. पुष्ट। ३. भरा-पूरा। संपन्न। पुं० मोटाई। स्थूलता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीन :
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वि० [सं०√प्याय (बढ़ाना)+क्त, संप्रसारण, नत्व, दीर्घ] [भाव० पीनता] १. आकार-प्रकार की दृष्टि से भारी-भरकम। दीर्घकाय। बहुत बड़ा और मोटा। २. पुष्ट। ३. भरा-पूरा। संपन्न। पुं० मोटाई। स्थूलता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनक :
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स्त्री०=पिनक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनक :
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स्त्री०=पिनक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनता :
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स्त्री० [सं० पीन+तल्+टाप्] १. पीन होने की अवस्था या भाव। २. मोटाई। स्थूलता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनता :
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स्त्री० [सं० पीन+तल्+टाप्] १. पीन होने की अवस्था या भाव। २. मोटाई। स्थूलता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनना :
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सं०=पींजना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनना :
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सं०=पींजना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनस :
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पुं० [सं० पीन√सो (नष्ट करना)+क] १. सर्दी या जुकाम। २. एक रोग जिसमें नाक से दुर्गन्धमय गाढ़ा पानी निकलता है। स्त्री० [फा० फीनस] १. पालकी नाम की सवारी। २. एक प्रकार की नाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनस :
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पुं० [सं० पीन√सो (नष्ट करना)+क] १. सर्दी या जुकाम। २. एक रोग जिसमें नाक से दुर्गन्धमय गाढ़ा पानी निकलता है। स्त्री० [फा० फीनस] १. पालकी नाम की सवारी। २. एक प्रकार की नाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनसा :
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स्त्री० [सं० पीनस+टाप्] ककड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनसा :
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स्त्री० [सं० पीनस+टाप्] ककड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनसित, पीनसी (सिन्) :
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वि० [सं० पीनस+इतच्] [पीनस+इनि] जिसे पीनस रोग हुआ हो। पीनस रोग से ग्रस्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनसित, पीनसी (सिन्) :
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वि० [सं० पीनस+इतच्] [पीनस+इनि] जिसे पीनस रोग हुआ हो। पीनस रोग से ग्रस्त। |
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पीना :
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स० [सं० पान] १. जीवों के मुँह के द्वारा या वनस्पतियों का जड़ों के द्वारा स्वाभाविक क्रिया से तरल पदार्थ विशेषतः जल आत्मसात् करना। २. किसी तरह पदार्थ में मुँह लगाकर उसे धीरे-धीरे चूसते हुए गले के रास्ते पेट में उतारना। जैसे—यहाँ रात भर मच्छर हमारा खून पीतें हैं। ३. गाँजे, तमाकू आदि का धूँआ नशे के लिए बार-बार मुँह में लेकर बाहर निकालना। धूम्रपान करना। जैसे—चिलम, बीड़ी, सिरगेट या हुक्का पीना। ४. एक पदार्थ का किसी दूसरे तरल पदार्थ को अपने अन्दर खींचना या सोखना। जैसे—इतना ही आटा (या चावल) पाव भर घी पी गया। ५. लाक्षणिक अर्थ में, धन आत्मसात् करना या ले लेना। जैसे—(क) यह मकान मरम्मत में ५०० रुपए पी गया। (ख) लड़का बुढ़िया का सारा धन पी गया। संयो० क्रि०—जाना।—डालना।—लेना। ६. मन में कोई या तीव्र मनोविकार होने पर भी उसे अन्दर ही अन्दर दबा लेना और ऊपर या बाहर प्रकट न होने देना। चुपचाप सहकर रह जाना। जैसे—किसी के अपमान करने या गाली देने पर भी क्रोध या गुस्सा पीकर रह जाना। ७. कोई अप्रिय या निंदनीय घटना या बात हो जाने पर उसे चुपचाप दबा देना और उसके संबंध में कोई कारवाई न करना या लोगों में उसकी चर्चा न होने देना। जैसे—ऐसा जान पड़ता है कि सरकार इस मामले को पी गई। संयो० क्रि०—जाना। मुहा०—(कोई गुण या भाव) घोलकर पी जाना=इस बुरी तरह से आत्मसात् करना या दबा डालना कि मानों उसका कभी कोई अस्तित्व ही नहीं था। जैसे—लज्जा (या शरम) तो तुम घोलकर पी गये हों। पुं० १. पीने की क्रिया या भाव। २. शराब पीने की क्रिया या भाव। जैसे—उनके यहाँ पीना-खाना सब चलता है। पुं० [सं० पीडन=पेरना] १. तिल, तीसी आदि की खली। २. किसी चीज के मुँह पर लगाई जानेवाली डाट (लश०)। |
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स० [सं० पान] १. जीवों के मुँह के द्वारा या वनस्पतियों का जड़ों के द्वारा स्वाभाविक क्रिया से तरल पदार्थ विशेषतः जल आत्मसात् करना। २. किसी तरह पदार्थ में मुँह लगाकर उसे धीरे-धीरे चूसते हुए गले के रास्ते पेट में उतारना। जैसे—यहाँ रात भर मच्छर हमारा खून पीतें हैं। ३. गाँजे, तमाकू आदि का धूँआ नशे के लिए बार-बार मुँह में लेकर बाहर निकालना। धूम्रपान करना। जैसे—चिलम, बीड़ी, सिरगेट या हुक्का पीना। ४. एक पदार्थ का किसी दूसरे तरल पदार्थ को अपने अन्दर खींचना या सोखना। जैसे—इतना ही आटा (या चावल) पाव भर घी पी गया। ५. लाक्षणिक अर्थ में, धन आत्मसात् करना या ले लेना। जैसे—(क) यह मकान मरम्मत में ५०० रुपए पी गया। (ख) लड़का बुढ़िया का सारा धन पी गया। संयो० क्रि०—जाना।—डालना।—लेना। ६. मन में कोई या तीव्र मनोविकार होने पर भी उसे अन्दर ही अन्दर दबा लेना और ऊपर या बाहर प्रकट न होने देना। चुपचाप सहकर रह जाना। जैसे—किसी के अपमान करने या गाली देने पर भी क्रोध या गुस्सा पीकर रह जाना। ७. कोई अप्रिय या निंदनीय घटना या बात हो जाने पर उसे चुपचाप दबा देना और उसके संबंध में कोई कारवाई न करना या लोगों में उसकी चर्चा न होने देना। जैसे—ऐसा जान पड़ता है कि सरकार इस मामले को पी गई। संयो० क्रि०—जाना। मुहा०—(कोई गुण या भाव) घोलकर पी जाना=इस बुरी तरह से आत्मसात् करना या दबा डालना कि मानों उसका कभी कोई अस्तित्व ही नहीं था। जैसे—लज्जा (या शरम) तो तुम घोलकर पी गये हों। पुं० १. पीने की क्रिया या भाव। २. शराब पीने की क्रिया या भाव। जैसे—उनके यहाँ पीना-खाना सब चलता है। पुं० [सं० पीडन=पेरना] १. तिल, तीसी आदि की खली। २. किसी चीज के मुँह पर लगाई जानेवाली डाट (लश०)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनी :
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स्त्री० [सं० पिंड या पीडन] तिल, तीसी या पोस्ते की खली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनी :
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स्त्री० [सं० पिंड या पीडन] तिल, तीसी या पोस्ते की खली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनोरु :
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वि० [सं० पीन-ऊरु, ब० स०] जिसकी जाँघे भारी और मोटी हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनोरु :
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वि० [सं० पीन-ऊरु, ब० स०] जिसकी जाँघे भारी और मोटी हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनोहनी :
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स्त्री० [सं० पीन-ऊधस्, ब० स० ङीष्, अनङ+आदेश] बड़े और भारी थन वाली गाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीनोहनी :
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स्त्री० [सं० पीन-ऊधस्, ब० स० ङीष्, अनङ+आदेश] बड़े और भारी थन वाली गाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |