प्रसंग/prasang

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प्रसंग  : पुं० [सं० प्र√सञ्ज् (मिलना)+घञ्] ४. संबंध। लगाव। २. अनुराग। आसक्ति। २. मैथन। संभोग। ४. विवेचन विषय अथवा बातचीत का वह पहलेवाला अंश जिसके संबंध में अब कुछ और कहा जा रहा हो। (कानटेक्ट) ५. प्रकरण। ६. हेतु। ७. फैलाव।
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प्रसंग-विध्वंस  : पुं० [सं० ष० त०] साहित्य में, मान-मोचन के छः प्रकारों में से एक जिसमें मानिनी का मान उसे भय दिखलाकर दूर किया जाता है।
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प्रसंग-सम  : पुं० [सं० तृ० त०] न्याय में, यह कथन कि प्रमाण का भी प्रमाणित सिद्ध करके दिखलाओ। (एक प्रकार का दोष)
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प्रसंगविभ्रंश  : पुं०=प्रसंग-विध्वंस।
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प्रसंगी (गिन्)  : वि० [सं० प्रसंग+इनि] १. प्रसंगयुक्त। २. प्रसंग या मैथुन करनेवाला। ३. अनुरक्त।
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