| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रेरण					 : | पुं० [सं० प्र√ईर्+णिच्+ल्युट्—अन] १. किसी को कोई काम करने के लिए बहुत अधिक उत्साहित करना। २. कोई काम करने के लिए प्रवृत्त करना। | 
			
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				| प्रेरणा					 : | स्त्री० [सं० प्र√ईर्+णिच्+युच्—अन्, टाप्] १. किसी को किसी कार्य में लगाने अथवा प्रवृत्त करने की क्रिया या भाव। २. मन में उत्पन्न होनेवाला वह भाव या विचार जिसके संबंध में यह कहा जाता हो कि वह दैवी साधन या कृपा से उत्पन्न हुआ है। ३. किसी प्रभावशाली व्यक्ति या क्षेत्र की ओर से कुछ करने या कहने के लिए होनेवाला संकेत। (इन्सिपरेशन, उक्त दो अर्थों में) ४. दबाव। ५. झटका। धक्का। | 
			
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				| प्रेरणार्थक					 : | वि० [सं० प्रेरण-अर्थ, ब० स०, कप्] १. प्रेरणा-संबंधी। २. प्रेरणा के रूप में होनेवाला। | 
			
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				| प्रेरणार्थक क्रिया					 : | स्त्री० [सं० कर्म० स०] व्याकरण में, क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के व्यापार के संबंध में यह सूचित होता है कि यह क्रिया स्वयं नहीं की जा रही है बल्कि किसी दूसरे को प्रेरित करके या किसी दूसरे से कराई जा रही है। जैसे—खाना से खिलाना, चलना से चलाना। भागना से भगाना आदि बननेवाले रूप प्रेरणार्थक क्रिया कहलाते हैं। | 
			
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				| प्रेरणीय					 : | वि० [सं० प्र√ईर्+अनीयर्] प्रेरणा किये जाने के योग्य। किसी के लिए प्रवृत्त या नियुक्त किये जाने या होने के योग्य। | 
			
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