शब्द का अर्थ
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बय :
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स्त्री=वय (अवस्था)। पुं०=बै (विक्रय)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बयंड :
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पुं० [हिं० गयंद=सं० गजेंद्र] हाथी। (डिं० )। |
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बयन :
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पुं० [सं० वचन] वाणी। बोली। बात। |
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बयना :
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स० [सं० वपन, प्रा० बयन] खेत में बीज होना। स० [सं० वचन] कहना। पुं०=बैना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बयनी :
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वि० [हिं० बयन] यौं के अन्त में, बोलनेवाली विशेषतः मधुर स्वर में बोलनेवाली। जैसे—पिक-बयनी। |
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बयर :
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पुं०=बैर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बयल :
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पुं० [?] सूर्य। (डिं०)। |
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बयस :
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स्त्री० [सं० वयस] अवस्था। उमर। |
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बयस-शिरोमनि :
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पुं० [सं० वयस शिरोमणि] युवास्था। जवानी। यौवन। |
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बयसर :
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स्त्री० [देश] कमखाब बुननेवालों की वह लकड़ी जो उनके करघे में गुलने के ऊपर और नीचे लगती है। |
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बयसवाला :
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वि० [सं० वयस+हिं० वाला] [स्त्री० बयसवाली] युवक। जवान। |
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बया :
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पुं० [सं० वयस=बुनना] पोले या चमकीले माथेवाली एक प्रसिद्ध छोटी चिड़िया जो खजूर, ताड़ आदि ऊँचे पेड़ों पर बहुत ही कलापूर्ण ढंग से अपना घोंसला बनाती है। पुं० [सं० वायः-बेचनेवाला] वह जो अनाज तौलने का काम करता हो। अनाज तौलनेवाला। तौलैया। |
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बयाई :
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स्त्री० [हिं० बया+आई (प्रत्यय)] १. ‘बया’ का काम या पद। २. अन्न आदि तौलने की मजदूरी। तौलाई। |
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बयान :
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पुं० [फा०] १. बात-चीत। २. जिक्र। चर्चा। ३. वृत्तांत। हाल। ४. न्यायालय में अभियुक्त द्वारा दिया जानेवाला अपना वक्तव्य। क्रि० प्र०—देना।—लेना। |
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बयाना :
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पुं० [अ० बै=बिक्री+फा० आ (प्रत्यय)] वह धन जो किसी वस्तु का खरीदकर उसके बेचनेवाले को क्रय-विक्रय की बात पक्की करने के समय देता है। पेशगी। अ०=बड़बड़ाना। |
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बयाबान :
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पुं० [फा०] [वि० बयाबानी] १. जंगल। २. उजाड़ या सुनसान जगह। |
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बयाबानी :
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वि० [फा०] १. जंगली। २. बनवासी। |
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बयार :
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स्त्री० [सं० वायु] हवा। पवन। मुहावरा—बयार करना=पंखा झलकर किसी को हवा पहुँचाना। बयार भखना=प्राणायाम करने के लिए नाक से वायु अंदर खींचना। उदाहरण—ऊधो हाय हम कौ बयारि भखिबो कहौ।—रत्नाकर। |
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बयारा :
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पुं० [हिं० बयार] १. हवा का झोंका। २. अँधड़। तूफान। |
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बयारि :
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स्त्री०=बयार। |
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बयारी :
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स्त्री० बयार (हवा)। |
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बयाला :
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पुं० [सं० बाह्य+हिं० आला] १. दीवार में का छेद जिसमें से झाँककर उस पार की घटनाएँ या दृष्य देखे जाते हैं। २. आला। ताखा। ३. किले की दीवारों पर तोपें रखने के लिए बना हुआ स्थान। ४. उक्त स्थान के आगे दीवार में बना हुआ वह छंद जिसमें से तोप का गोला बाहर जाकर गिरता है। ५. पटे या पाटे हुए स्थान के नीचे का खाली स्थान। |
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बयालीस :
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वि० [सं० द्विचत्वारिशत्; प्रा० विचत्तालीसा] जो गिनती में चालीस से दो अधिक हो। पुं० उक्त की सूचक संख्या जो इस प्रकार (४२) लिखी जाती है। |
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बयालीसवाँ :
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वि० [हिं० बयालीस+वाँ (प्रत्यय)] ४२ संख्या के विचार से बयालीस के स्थान पर पड़ने या होनेवाला। |
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बयासी :
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वि० [सं० द्वि+अशीति, प्रा० बिअसी] जो गिनती में अस्सी से दो अधिक हो। पुं० उक्त की सूचक संख्या जो अंकों में एस प्रकार (८२) लिखी जाती है। |
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