बरक/barak

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बरक  : स्त्री० [अ० बर्क] बिजली। विद्युत।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
बरक-दम  : स्त्री० [अ० बर्क+फा० दम] एक प्रकार की चटनी जो कच्चे आम को भूनकर उसके पने में मिर्च, चीनी आदि डालकर बनायी जाती है।
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बरकत  : स्त्री० [अ०] १. वह शुभ स्थिति जिसमें कोई चीज या चीजें इस मात्रा में उपलब्ध हों कि उनसे आवश्यकताओं की पूर्ति सहज में तथा भली-भाँति हो जाय। जैसे—(क) घर में गाय-भैंस होने पर ही दूध-दही में बरकत होती है। (ख) अब तो रुपए पैसे में बरकत नहीं रह गयी। (ग) ईश्वर तुम्हें रोजगार में बरकत दे। मुहावरा—(किसी से या किसी चीज में) बरकत उछना या उठ जाना=पहले की सी शुभ स्थिति या सम्पन्नता न रह जाना। २. किसी चीज का वह थोड़ा-सा अंश जो इस भावना से बचाकर रख लिया जाता है कि इसी में आगे चलकर और अधिक वृद्धि होगी। जैसे—अब थली में बरकत के ११ रुपये ही बच रहे हैं बाकी सब खर्च हो गये। ३. अनुग्रह। कृपा। जैसे—यह सब आपके कदमों की ही बरकत हैं। ४. मंगल-भाषित के रूप में गिनते समय एक की संख्या। विशेष—प्रायः लोग गिनती आरम्भ करने पर एक की जगह बरकत कहकर तब दो तीन चार आदि कहते हैं। ५. मंगल-भाषित के रूप में अभाव या समाप्ति का सूचक शब्द। जैसे—आज-कल घर में अनाज (या कपड़ों) की बरकत ही चल रही है। अर्थात् अभाव है यथेष्टता नहीं हैं।
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बरकती  : वि० [अ० बरकत+ई (प्रत्यय)] १. जिसके कारण या जिसमें बरकत हो बरकतवाला। जैसे—जरा अपना बरकती हाथ लगा हो तो रुपए घटेगे नहीं। २. जो बरकत के रूप में शुभ माना जाता हो। जैसे—बरकती रुपया।
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बरकंदाज  : पुं० [अ० बर्क+फा० अंदाज] [भाव० बरकंदाजी] १. चौकीदार। २. सिपाही। ३. तोपची।
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बरकना  : अ० [सं० वर्जन] १. अलग या दूर रहना या रखा जाना। २. कोई अप्रिय या अशुभ बात घटित न होने पाना। ३. संकट आदि से बचने के लिए कहीं से हटना। ४. बचाया जाना। स०=बरकाना।
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बरकाना  : स० [सं० वारण, वारक] १. कोई अनिष्ट अथवा अप्रिय घटना या बात न होने देना। निवारण करना। बचाना। जैसे—झगड़ा बरकाना। २. अपना पीछा छुड़ाने के लिए किसी को भुलावा देकर अलग करना य दूर रखना। ३. मना करना। रोकना।
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