शब्द का अर्थ
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भास :
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पुं० [सं०√भास्+घञ्] १. चमक। दीप्ति। २. प्रकाश। रोशनी। ३. किरण मयूख। ४. इच्छा। कामना। ५. मिथ्या। ज्ञान। ६. गोशाला। ७. कुक्कुट। मुरगा। ८. गिद्ध। ९. शकुंत पक्षी। १॰. स्वाद। लज्जत। ११. एक प्राचीन पर्वत। |
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समानार्थी शब्द-
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भासक :
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पुं० [सं०√भास्+ण्वुल्-अक] चमकानेवाला। प्रकाशक। |
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भासंत :
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वि० [सं०√भास् (चमकना)+झच्-अन्त] प्रकाशमान्। सुंदर। पुं० १. सूर्य। २. चंन्द्रमा। ३. नक्षत्र। ४. शकुन्त पक्षी। |
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भासंती :
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स्त्री० [सं० भासंत+ङीष्] तारा। |
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भासना :
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अ० [सं० भास] १. प्रकाशित होना। चमकना। २. लक्षणों से कुछ कुछ जान पड़ना। आभास होना। ३. दिखाई देना। [हिं० भासन=डूबना] १. पानी में डूबना। २. लिप्त या लीन होना। ३. फँसना। स०=भाषना। (कहना)। |
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भासमंत :
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वि० [सं० भासमान] १. ज्योति या प्रकाश से युक्त। २. चमकदार। चमकीला। |
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भासमान :
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वि० [सं० भास+शानच्, मुम्] जान पड़ता या दिखाई देते हुआ। भासता हुआ। पुं० =सूर्य। |
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भासिक :
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वि० [सं० भास्+ठक्-इक] १. दिखाई पड़नेवाला। दृश्य। २. लक्षणों से जान पड़ने या मालूम होनेवाला। |
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भासित :
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वि० [सं०√भास्+क्त] १. तेजोमय। प्रकाशमान। २. चमकदार। चमकीला। |
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भासु :
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पुं० [सं०√भास्+उण्] सूर्य्य। |
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भासुर :
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पुं० [सं०√भास्+घुरच्] १. कुष्ट रोग की ओषधि। कौढ़ की दवा। २. बिल्लौर। स्फटिक। ३. बहादुर। वीर। वि० चमकदार। चमकीला। |
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भास्कर :
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पुं० [सं०√भास्कर+कृ (करना)] १. सूर्य। २. सोना। स्वर्ण। ३. बहादुर। वीर। ४. अग्नि। आग। ५. आक। मदार। ६. शिव। ७. पत्थरों आदि पर नक्काशी करने की कला या विद्या। |
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भास्करि :
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पुं० [सं० भास्कर+इघ्] शनि ग्रह। |
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भास्मन :
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वि० [सं० भस्मन्+अण्] १. भस्म से बना हुआ। २. भस्म संबंधी। |
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भास्वत :
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पु० [सं० भास+मतुप्—व] १. सूर्य्य। २. आक। मदार। ३. चमक। दीप्ति। ४. बहादुर। वीर। वि० चमकदार। चमकीला। |
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भास्वती :
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स्त्री० [सं० भास्वत्+ङीष्] एक प्राचीन नदी। (महाभारत) |
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भास्वर :
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पुं० [सं०√भास्+वरच्] १. सूर्य। २. सूर्य का एक अनुचर। ३. दिन। ४. कुष्ठ रोग की औषधि। कोढ़ की दवा। वि० चमकदार। चमकीला। |
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