शब्द का अर्थ
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भिन :
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वि० =भिन्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
भिनकना :
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अ० [अनु०] १. (मक्खियों का) भिन्न-भिन्न शब्द करना। मुहावरा—किसी पर मक्खियां भिकना= (क) किसी का इतना अशक्त हो जाना कि उस पर मक्खियाँ भिनभिनाया करें और वह उन्हें उड़ा न सके। नितांत असमर्थ हो जाना। (ख) किसी चीज का इतना गन्दा या मलिन होना कि उस पर मक्खियाँ आ-आकर बैठा करें। २. गन्दगी आदि के कारण मन में घृणा उत्पन्न होना। |
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भिनना :
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अ०=भीनना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भिनभिनाना :
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स्त्री० [अनु०] भिन भिन शब्द होना। |
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भिनभिनाहट :
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स्त्री० [अनु० भिनभिनाना+आहट (प्रत्यय)] १. भिनभिनाने की क्रिया या भाव। २. भिन भिन शब्द। |
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भिनसार :
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पुं० [सं० विनिशा] प्रातःकाल। सबेरा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भिनहीं :
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अव्य० [सं० विनिशा] प्रातःकाल। सबेरे। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भिन्न :
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वि० [सं०√भिद् (विदारण करना)+क्त, नत्व] १. काट या तोड़कर अलग किया हुआ। जैसे—छिन्न-भिन्न। २. जिसके विभाग किये गये हों। विभक्त। विभाजित। ३. अलग। जुदा। पृथक्। (अन्दर)। ४. जो प्रस्तुत है, उससे अलग या किसी दूसरे प्रकार का। अलग तरह का। (डिफरेंट) ५. अपने मेल या वर्ग के औरों से कुछ अलग और विशेष प्रकार का (जिस्टिक्ट) ६. कोई और। अन्य। अपर। दूसरा। पुं० १. किसी चीज का खंड या टुकड़ा। २. गणित में किसी पूरी इकाई का छोटा अंश, खंड या टुकड़ा जो या तो बटे वाले रूप में व्यक्त किया जाता है (जैसे—½,१/३) या दशमल प्रणाली से) जैसे—३०७ अर्थात् ३/7) (फ्रैक्शन)। ३. वैद्यक में शरीर का वह अंग या अवयव जो किसी तेज धारवाले शस्त्र से कटकर अलग हो गया हो। ४. क्षत। घाव। नीलम का एक दोष जिसके कारण पहननेवाले को पति,पिता,पुत्रादि का शोक प्राप्त होना माना जाता है। ६. फूल की कली। |
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भिन्न-क्रम :
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वि० [ब० स०] क्रम-भंग दोष से युक्त। |
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भिन्न-भिन्न :
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स्त्री० [अनु०] वह शब्द जो मक्खियाँ हवा में उड़ते समय करती है। |
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भिन्न-मनुष्या :
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वि० स्त्री० [सं० ब० स०+टाप्] (भूमि) जिसमें भिन्न-भिन्न जातियों स्वभावों और पेशों के लोग बसते हों। |
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भिन्न-मर्याद :
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वि० [ब०स०] मर्यादा, नियंत्रण आदि से रहित। |
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भिन्न-वृत्त :
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वि० [ब० स०] १. कर्त्तव्य पथ से भ्रष्ट। २. (छन्द) जिसमें छन्दोंभंग दोष हो। |
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भिन्न-वृत्ति :
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वि० [ब० स०] १. दूसरे पेशे का। २. बुरा जीवन व्यतीत करनेवाला। ३. भिन्न भाव या रुचिवाला। |
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भिन्न-हृदय :
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वि० [ब० स०] जिसका हृदय बहुत ही दुःखी हो गया हो। |
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भिन्नक :
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पुं० [सं० भिन्न+कन्] बौद्ध। |
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भिन्नता :
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स्त्री० [सं० भिन्न+तल्+टाप्] १. भिन्न होने की अवस्था या भाव। अलगाव। पार्थक्य। २. अंतर। भेद। |
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भिन्नत्व :
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पुं० [सं० भिन्न+त्व] भिन्न होने का भाव। जुदाई। |
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भिन्नदर्शी (र्शिन्) :
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वि० [सं० भिन्न√दृश् (देखना)+णिनि] पक्षपाती। |
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भिन्नमतालंबी (बिन्) :
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पुं० [सं० भिन्न-मत, कर्म० स० भिन्नमत-अव√लम्ब्+णिनि, उप० स०] किसी दूसरे मत या मजहब का माननेवाला। |
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भिन्नाना :
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अ० [अनु०] १. दुर्गंध आदि से सिर चकराना। २. डर कर अलग या दूर रहना। अ० भिनभिनाना। अ०=भुनभुनाना। |
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भिन्नार्थ :
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वि० [सं० भिन्न-अर्थ, ब० स०] १. भिन्न उद्देश्यवाला। २. स्पष्ट अर्थवाला। |
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भिन्नार्थक :
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वि० [सं० ब० स०+कप्] किसी (शब्द) से भिन्न अर्थवाला (शब्द)। |
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भिन्नोदर :
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पुं० [सं० भिन्न-उदर, ब० स०] सौतेला भाई। |
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