शब्द का अर्थ
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भृगु :
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पुं० [सं०√भ्रस्ज्+क्, सम्प्रसारण, कुत्व] १. एक प्रसिद्ध मुनि जो शिव के पुत्र सप्तर्षियों में से एक माने जाते हैं। कहते हैं कि इन्होंने भगवान् विष्णु की छाती में लात मारी थी। २. परशुराम जो उक्त मुनि के वंशज थे। ३. शुक्राचार्य। ४. शुक्रवार। ५. शिव। ६. जमदग्नि। ७. पहाड़ का ऐसा किनारा जहाँ से गिरने पर मनुष्य बिलकुल नीचे आ जाय, बीच में कहीं रुक न सके। |
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भृगु-तुंग :
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पुं० [सं० भृगु√जन् (उत्पत्ति)+ड] १. भृगु के वंशज। २. शुक्राचार्य। |
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भृगु-तुंग :
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पुं० [सं०] हिमालय की एक चोटी जो एक पवित्र तीर्थ के रूप में मानी जाती है। |
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भृगु-नायक :
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पुं० [ष० त०] परशुराम। |
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भृगु-पति :
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पुं० [ष० त०] परशुराम। |
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भृगु-पात :
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पुं० [पं० त०] पहाड़ की चोटी पर से गिरकर आत्म-हत्या करना। |
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भृगु-पुत्र :
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पुं० [ष० त०] शुक्र। |
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भृगु-रेखा :
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स्त्री० [मध्य० स०] भृगु-लता। |
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भृगु-लता :
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स्त्री० [मध्य० स०] भृगु मुनि के चरण का चिन्ह जो विष्णु की छाती पर अंकित है। |
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भृगु-वल्ली :
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स्त्री० [मध्य० स०] १. तैत्तिरीय उपनिषद की तीसरी वल्ली जिसका अध्ययन भृगु मुनि ने किया था। २. भृगु लता। |
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भृगुक :
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पुं० [सं० भृगु+कन्] पुराणानुसार कूर्म्म चक्र के एक देश का नाम। |
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भृगुकच्छ :
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पुं० [सं०] आधुनिक भड़ौच नगर। |
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भृगुसुत :
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पुं० [ष० त०] १. शुक्राचार्य। २. शुक्र ग्रह। |
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