| शब्द का अर्थ | 
					
				| भेड़					 : | स्त्री० [सं० मेष] [पुं० भेड़ा] १. बकरी के आकार-प्रकार का एक प्रसिद्ध पालतू चौपाया जिसका ऊन तथा खाल विविध कामों में आती है और मांस खाया जाता है। पद—भेड़िया धँसान। २. उक्त पशु की तरह सीधा-सादा और मूर्ख व्यक्ति। उदा०—भेड़ जाओगे, मारेगी जो दो मूग तुम्हें।—कोई शायर। स्त्री० [?] भेड़ने की क्रिया या भाव। २. थप्पड़ या धौल। ३. ताँबे की बनी हुई एक प्रकार की तुरही या भोंपा। | 
			
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				| भेड़ना					 : | स० [हिं० भिड़ना] १. कोई चीज किसी के साथ सटाकर लगाना। भिड़ाना। २. (दरवाजा) बन्द करना। ३. (घूस या रिश्वत) देना। (बाजारू) | 
			
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				| भेड़ा					 : | पुं० [हिं० भेड़] भेड़ जाति का नर। मेढ़ा। मेष। | 
			
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				| भेड़िया					 : | पुं० [हिं० भेड़ या सं० भेरुंड ?] कुत्ते से कुछ बड़ा एक जंगली हिसक पशु जो झुंड बनाकर रहता है और बस्तियों से मुर्गियाँ, बत्तखें, छोटी छोटी भेड़-बकरियाँ, नन्हें बच्चे आदि उठाकर ले जाता है। वि० [हिं० भेड़+इया (प्रत्य०)] भेड़ या भेड़ों का सा। जैसे—भेड़िया धँसान। | 
			
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				| भेड़ियाँ-धँसान					 : | स्त्री० [हिं० भेड़+धँसान] भेड़ों का सा अंध अनुकरण। विशेष—जब भेड़े झुंड में चलती हैं तब प्रायः ऐसा होता है कि एक भेड़ जिस ओर चलने लगती हैं। इसी आधार पर यह पद बना है। | 
			
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				| भेड़िहर					 : | पुं० [हिं० भेड़] गड़ेरिया। भेड़ें चरानेवाला। | 
			
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