मजा/maja

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मजा  : पुं० [फा० मज़ः] १. किसी काम विशेषतः किसी चीज के भोग करने पर होनेवाली वह तृप्ति जिसमें मन और शरीर दोनों आनंद से भर उठते हैं। जैसे—(क) आज खेल में मजा था। (ख) हमने देहात का मजा पा लिया है। क्रि० प्र०—आना।—देखना।—मिलना।—लेना। पद—मजे में=(क) अच्छी तरह और सन्तोषजनक रूप में। जैसे—कलकत्ते में वह मजे में है। (ख) अच्छे और ठीक ढंग या प्रकार से। जैसे—अब तो लड़का मजे में अंगरेजी बोलने लगा है। मुहा०—मजा आ जाना या आना=ऐसी स्थिति उत्पन्न होना जिससे लोगों का यथेष्ट मनोरंजन हो अथवा वे विशिष्ट रूप से प्रसन्न हों। जैसे—आज तो इन लोगों की बातचीत (या नाच-गाने) में मजा आ गया। मजा (या मजे) उड़ाना=मनमाने ढंग से यथेष्ट आनंद और सुख भोग करना। मजा किरकिरा होना=सुखप्रद स्थिति में किसी प्रकार की बाधा या विघ्न होना। (किसी को मजा) चखाना या दिखाना=किसी को ऐसी स्थिति में लाना कि वह अपने किये हुए किसी काम का अच्छी तरह फल भोगे और दुःखी होकर पछताने लगे। मजा=लूटना= दे० ऊपर ‘मजा उड़ाना’। २. खाने पीने की चीजों से मिलनेवाला प्रिय स्वाद। जायका रस। मुहा०—किसी चीज या बात का मजा पड़ना=रस या सुख मिलने पर किसी चीज या बात का चसका लगना। ३. किसी चीज या बात की ऐसी स्थिति जिसमें वह परिपक्व होकर यथेष्ट आनंद या सुख देने के योग्य हो जाय। मुहा०—(किसी चीज का) मज़े पर आना=अच्छी तरह परिपक्व होकर पूर्ण रूप से सुखद होना। (किसी व्यक्ति का) मजे पर आना=ऐसी स्थिति में आना या होना कि मनमाना आचरण व्यवहार करके आनंद या सुख प्राप्त कर सके। ४. बातचीत आदि की ऐसी स्थिति जिससे लोगों का विशेष मनोरंजन होता या उन्हें सुख मिलता हो। जैसे—मजा तो तब हो जब आप भी उन लोगों के साथ पकड़े जायँ।
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मजाक  : पुं० [अ० मज़ाक] १. हँसी-ठट्ठा। परिहास। मुहा०—(किसी का) मजाक उड़ाना=किसी को तुच्छ सिद्ध करने के लिए हँसी की बातें कहकर उपहासास्पद बनाना। उपहास करना। (किसी काम को) मजाक समझना=हँसी-खेल या खेलवाड़ समझना। पद—मजाक में=किसी विशिष्ट विचार से नहीं, बल्कि परिहास में या यों ही। २. किसी बात या विषय में होनेवाली स्वाभाविक प्रवृत्ति या रुचि।
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मजाकन  : अ० [अव्य० मज़ाकन] मज़ाक या परिहास के रूप में। हँसी के तौर पर।
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मजाकिया  : वि० [अ० मज़ाकियः] १. मजाक या परिहास से सम्बन्ध रखनेवाला। जैसे—मज़ाकिया मज़मून, मजाकिया शायरी। २. (व्यक्ति) जो बहुत अधिक या प्रायः मजाक करता रहता हो। मज़ाक-पसंद। क्रि० वि०=मज़ाकन।
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मजाज  : वि० [अ० मज़ाज] १. अवास्तविक। कल्पित या मिथ्या। २. अधिकार-प्राप्त पुं०=मिजाज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मजाजन  : अव्य० [अ० मजाज़न] १. अधिकारिक रूप से। १. नियम, विधि आदि के अनुसार। ३. काल्पनिक रूप में। ४. लाक्षणिक रूप में।
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मजाजी  : वि० [अ० मजाज़ी] १. अवास्तविक। कल्पित या मिथ्या। २. कृत्रिम। बनावटी। ३. सांसारिक। लौकिक।
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मजार  : पुं० [अ० मजार] १. कोई दर्शनीय स्थल। २. विशेषतः किसी पीर, फकीर या महापुरुष की कब्र।
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मजारी  : स्त्री० [सं० मार्जार] बिल्ली। बिड़ाल। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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मजाल  : स्त्री० [अ० मजाल] शक्तिमत्ता। सामर्थ्य। जैसे—उसकी क्या मजाल है कि मेरे सामने बोले। (प्रायः नहिक प्रसंगों में प्रयुक्त)
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