शब्द का अर्थ
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					मटक					 :
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					स्त्री० [सं० मट=चलना+क (प्रत्य०)] मटकने की क्रिया, ढंग, मुद्रा या भाव। पद—चटक-मटक। २. गति। चाल। (क्व०)				 | 
			
			
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					मटकना					 :
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					अ० [सं० मट=चलना] १. चलते या बातें करते समय कुछ नाज-नखरे तथा गर्वपूर्वक अपने को बार-बार हिलाने तथा लचकाते रहना। २. संकोचवश या और किसी कारण चल-विचल या इधर-उधर होना। उदा०—देखत रूप मदन मोहन को, पियत पियूख न मटके।—मीराँ। पुं० [हिं० मटका] १. छोटा मटका। २. पुरवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मटकनि					 :
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					स्त्री० [हिं० मटकना] १. मटकने की क्रिया या भाव। मटक। २. मटककर चली जानेवाली चाल। ३. गति। चाल। ४. नखरा। ५. नाच। नृत्य।				 | 
			
			
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					मटका					 :
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					पुं० [हिं० मिट्टी+क (प्रत्य०)] [स्त्री० अल्पा० मटकी] मिट्टी का घड़ा। मट। माट।				 | 
			
			
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					मटकाना					 :
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					स० [हिं० मटकना का स०] १. किसी को मटकने में प्रवृत्त करना। २. किसी अंग में मटक लाना। ऐसी स्थिति में किसी को लाना कि वह हिलने-डुलने तथा लचकने लगे। नाज-नखरे से किसी अंग का संचालन करना। जैसे—कमर मटकाना, आँखें मटकाना।				 | 
			
			
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					मटकी					 :
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					स्त्री० [हिं० मटका] छोटा मटका। स्त्री० [हिं० मटका] मटकने या मटकाने की क्रिया या भाव। मटक। मुहा०—मटकी देना या मारना=स्त्रियों की तरह नखरे से आँखें, उँगलियाँ या हाथ हिलाकर इशारा या संकेत करना।				 | 
			
			
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					मटकीला					 :
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					वि० [हिं० मटकना+ईला] (प्रत्य०)] १. मटक दिखाने या मटकनेवाला। २. जिसमें किसी प्रकार की मटक हो। मटक से युक्त।				 | 
			
			
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					मटकौअल, मटकौवल					 :
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					स्त्री० [हिं० मटकाना+औवल (प्रत्य०) मटकने या मटकाने की क्रिया या भाव। जैसे—सूत न कपास जुलाहों से मटकौअल। (कहा०)				 | 
			
			
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					मटक्का					 :
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					पुं० [हिं० मटकना या मटकाना] आँखें, उँगलियाँ, हाथ आदि मटकाने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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