मनसा/manasa

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मनसा  : स्त्री० [सं० मनस्+अच्+टाप्] एक देवी जो पुराणानुसार जरत्कारु मुनि की पत्नी और आस्तीक की माता थी तथा कश्यप की पुत्री और बासुकी की बहन थी। वह साँपों के कुल की अधिष्ठात्री मानी गई है। वि० १. मन से उत्पन्न। २. मन-सम्बन्धी। मन का। क्रि० वि० मन के द्वारा। मन से। स्त्री० [अ० मंशा] १. इरादा। विचार। २. अभिलाषा। कामना। ३. मन। ४. बुद्धि। ५. अभिप्राय। ६. उद्देश्य। स्त्री० [देश०] एक प्रकार की घास जो बहुत तेजी से बढ़ती और पशुओं के लिए बहुत पुष्टिकारक समझी जाती है। मकड़ा। मधाना। खमकरा।
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मनसा-पंचमी  : स्त्री० [सं० मध्य० स०] आषाढ़ की कृष्णपंचमी। इस दिन मनसा देवी का उत्सव होता है।
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मनसाकर  : वि० [हिं० मनसा+सं० कर (प्रत्य०)] मनोवांछित फल देनेवाला। मनोकामना पूर्ण करनेवाला।
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मनसाना  : अ० [हिं० मनसा] उमंग में आना। तरंग में आना। स० [हिं० मनसना का प्रे०] किसी को कुछ मनसने में प्रवृत्त करना। मनसवाना।
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मनसायन  : वि० [हिं० मानपस=मनुष्य+आयन (प्रत्य०)] १. ऐसी स्थिति जिसमें कुछ लोगों के रहने के कारण अच्छी चहल-पहल हो। क्रि० प्र०—रखना। २. चहल-पहल की ओर मन लगने की जगह। गुलजार।
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मनसाराम  : पुं० [सं० मनस्-राम] बोल-चाल में, अपने मन और फलतः व्यक्तित्व की संज्ञा। जैसे—चलो मनसाराम कोई जगह ढूँढ़ें।
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