मरंद/marand

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मरद  : पुं० [फा० मर्द] १. पुरुष। २. वीर पुरुष। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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मरदई  : स्त्री० [हिं० मर्द+ई (प्रत्य०)] १. मनुष्यत्व। आदमीयत। २. बहादुरी। वीरता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मरदन  : पुं०=मर्दन।
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मरदना  : स० [सं० मर्दन] १. मसलना। २. ध्वस्त या नष्ट करना। ३. गूँधना। माँडना। सानना।
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मरदनिया  : पुं० [हिं० मर्दना] वह सेवक जो बड़े आदमियों के अंगों में तेल आदि मला करता है। मालिश करनेवाला आदमी।
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मरदानगी  : स्त्री० [फा० मर्दानगी] १. मरद अर्थात् पुरुष होने की अवस्था या भाव। पुरुषत्व। २. वीरता। शूरता।
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मरदाना  : वि० [फा० मर्दानः] [स्त्री० मरदानी] १. मरद या पुरुष-सम्बन्धी। पुरुष या पुरुषों का। जैसे—मरदाना लिबास, मरदानी पोशाक। २. मरदों जैसा। वीरों जैसा। जैसे—मरदाना बार। पुं० शूर-वीर।
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मरदी  : स्त्री० [फा० मर्दी] १. मनुष्यता। २. पौरुष। ३. कामशक्ति। जैसे—ना-मरदी।
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मरदुआ  : पुं० [फा० मर्द] मरद या पुरुष के लिए अपेक्षा-सूचक संज्ञा (स्त्रियाँ)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मरदुम  : पुं०=मर्दुम (आदमी)।
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मरदूद  : वि० [अ० मर्दूद] १. निकाला हुआ। बहिष्कृत। २. तिरस्कृत। ३. पाजी। लुच्चा। ४. नीच। पुं० बहुत ही तुच्छ या हीन व्यक्ति।
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