मिजाज/mijaaj

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मिजाज  : पुं० [अं० मिज़ाज] १. तासीर। किसी पदार्थ का वह मूल गुण जो सदा बना रहे। मूल प्रकृति। २. प्राणी की प्रधान प्रवृत्ति स्वभावय। जैसे—उनका मिजाज बहुत सख्त है। ३. मन या शरीर की स्वाभाविक स्थिति। तबीयत। दिल। मुहा०—मिजाज खराब होना =(क) मन में किसी प्रकार की अप्रसन्नता आदि उत्पन्न होना। (ख) कुछ अस्वस्थ होना। (किसी का) मिजाज पाना= (क) किसी के स्वभाव से परिचित होना। (ख) किसा को अपने अनुकूल या अनुरक्त स्थिति में देखना। मिजाज पूछना=(क) तबीयत या हाल पूछना। (ख) अच्छी तरह दंड देना या बदला चुकाना। (व्यंग्य) मिजाज बिगड़ना= (क) शरीर अस्वस्थ-सा जान पड़ना। (ख) मन में कोध या रोष उत्पन्न होना। मिजाज का आना=ध्यान में आना। समझ में आना। जैसे—अगर आपके मिजाज के आये तो आप भी वहाँ चलिए। मिजाज सीधा होना=अनुकूल या प्रसन्न होना। तबीयत ठिकाने होना। ४. अभियान। घमंड। पद—मिजाजदार। पद—मिजाजदार। मुहा० मिजाज करना या दिखाना = (क) क्रोध या गुस्से में आना। (ख) अभियान या घमंड करना या दिखाना। मिजाज न मिलना= घमंड के कारण सीधी तरह से बात न करना। जैसे—आज-कल तो उनका मिजाज ही नहीं मिलता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मिजाज अली  : अव्य० [अ० मिजाजे अली] आप प्रसन्न और स्वस्थ तो है ? (भेंट होने पर प्रश्नवाचक पद की तरह प्रयुक्त।)
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मिजाज-पीटा  : वि० [अं० मिज़ाज+हि० पीटना] [स्त्री० मिज़ा़ज-पीटी] अभिमानी।
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मिजाज-पुरसी  : स्त्री० [अं० मिज़ाज+फा० पुसीं] किसी का कुशल-मंगल या हाल-चाल पूछना।
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मिजाजदार  : वि० [अं० मिज़ाज+फा० दार (प्रत्य,)] घमंड़ी। अभिमानी।
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मिजाजदारी  : स्त्री० [अ०+फा०] मिजाजदार होने की अवस्था या भाव।
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मिजाजी  : वि० स्त्री० [अं० मिज़ाज+इनि (प्रत्य०)] बहुत अधिक मिजाज अर्थात् अभिमान करने या रखनेवाली। घमंडिन।
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