शब्द का अर्थ
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मुष्टि :
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स्त्री०[सं०√मुष्+क्तिज्] १. मुट्ठी। २. घूँसा। मुक्का। ३. चोरी। ४. अकाल। दुर्भिक्ष। ५. राज्य। ६. हथियार की बेंट या मूठ। ७. ऋषि नामक ओषधि। ८. मोखा वृक्ष। ९. एक प्राचीन परिमाण जो किसी के मत से ३ तोले का और किसी के मत से ८ तोले का होता था। पुं० =मुष्टिका। |
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मुष्टि-देश :
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पुं० [सं० ष० त०] धनुष का मध्य भाग जो मुट्ठी में पकड़ा जाता है। |
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मुष्टि-युद्ध :
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पुं० [सं० तृ० त०] घूँसेबाजी। |
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मुष्टि-योग :
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पुं० [सं० मध्य० स०] १. हठयोग की कुछ क्रियाएँ जो शरीर की रक्षा करने, बल बढ़ाने और रोग दूर करनेवाली मानी जाती है। २. किसी बड़े काम या बात का छोटा और सहज उपाय। |
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मुष्टिक :
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पुं० [सं० मुष्टि+कन्] १. राजा कंस के पहलवानों में से एक जिसे बलदेव जी ने मारा था। २. घूँसा। मुक्का। ३. मुट्ठी। ४. मुट्टी के बराबर की नाप। ५. स्वर्णकार। सुनार। ६. तांत्रिकों के अनुसार एक उपकरण जो बलिदान के योग्य होता है। |
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मुष्टिका :
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स्त्री० [सं० मुष्टिक+टाप्] १. मुक्का। घूँसा। २. मुट्ठी। |
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मुष्टिकांतक :
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पुं० [सं० मुष्टिक-अंतक, ष० त०] मुष्टिक नामक मल्ल को मारनेवाले बलदेव। |
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