मृग/mrg

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मृग  : पुं० [सं०√मृग् (अन्वेषण)+क] [स्त्री० मृगी] १. जंगली जानवर। २. हिरन। ३. कस्तूरी मृग का नाफा। ४. वैष्णवों का एक प्रकार का तिलक। ५. कामशास्त्र में चार प्रकार के पुरुषों में से एक जो चित्रिणी स्त्री के लिए उपयुक्त कहा गया है। ६. ज्योतिष में शुक्र की नौ वीथियों में से आठवीं वोथी जो अनुराधा, ज्येष्ठा और मूल में पड़ती है। ७. हाथियों की एक जाति जिसकी आँखें कुछ बड़ी होती हैं और गंडस्थल पर सफेद चिन्ह होता है। ८. अगहन का महीना। मार्गशीर्ष। ९. मृगशिरा नक्षत्र। १॰. मकर राशि। ११. एक प्रकार का यज्ञ। १२. अन्वेषण। खोज। तलाश।
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मृग-कानन  : पुं० [ष० त०] १. वह जंगल जिसमें शिकार के लिए बहुत से जानवर हों। २. उद्यान। बाग।
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मृग-चर्म (चर्मन्)  : पुं० [ष० त०] १. हिरन की खाल। २. ओढ़ी अथवा आसन के रूप में बिछाई जानेवाली हिरन की खाल।
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मृग-चेटक  : पुं० [सं०√चिट् (प्रेरणा)+णिच्+ण्वुल्-अक, =चेटक, मृगचेटक, ष० त०] गंध बिलाव। मुश्क बिलाव।
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मृग-छाला  : स्त्री० [सं० मृग+हिं० छाला] हिरन की छाल। मृगचर्म।
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मृग-छौना  : पुं० [सं० मृग+हिं० छौना] हिरन का बच्चा। मृग-शावक।
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मृग-जल  : पुं० [मध्य० स०]=मृग-तृष्णा। पद—मृग जल स्नान=अनहोनी बात।
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मृग-जालिक  : स्त्री० [ष० त०] वह जाल जिसमें हिरन फँसाये जाते हैं।
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मृग-तृषा  : स्त्री०=मृग-तृष्णा।
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मृग-तृष्णा  : स्त्री० [सं० ब० स०] १. ऐसी तृष्णा जिसकी पूर्ति प्रायः असंभव हो। २. दे० ‘मृग-मरीचिका’।
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मृग-तृष्णिका  : स्त्री०=मृग-तृष्णा।
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मृग-दंशक  : पुं० [ष० त०] कुत्ता।
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मृग-दाव  : पुं० [सं० मध्य० स०] १. वह वन जिसमें बहुत से मृग हों। २. काशी के सारनाथ नामक तीर्थ के पासवाले जंगल का पुराना नाम।
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मृग-धर  : पुं० [ष० त०] चंद्रमा।
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मृग-धूर्त  : पुं० [स० त०] श्रृंगाल।
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मृग-नयन  : वि० [ब० स०] [स्त्री० मृग-नयनी] हिरन की आँखों की तरह जिसकी आँखें सुन्दर हों।
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मृग-नाथ  : पुं० [ष० त०] सिंह। शेर।
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मृग-नाभि  : पुं० [ष० त०] कस्तूरी।
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मृग-नाभिजा  : स्त्री० [सं० मृगनाभि√जन् (उत्पन्न होना)+ड+टाप्] कस्तूरी।
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मृग-नेत्रा  : स्त्री० [सं० ब० स०] मृगशिरा नक्षत्र से युक्त रात्रि।
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मृग-नैन  : वि० [स्त्री० मृगनैनी] =मृगनयन।
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मृग-पति  : पुं० [ष० त०] सिंह। शेर।
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मृग-मद  : पुं० [सं० मृग√मद् (हृष्ट होना)=अप्] कस्तूरी।
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मृग-मदा  : स्त्री० [सं० मृगमद+टाप्] कस्तूरी।
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मृग-मरीचिका  : स्त्री० [ब० स०] १. मृग को होनेवाली जल की वह भ्रांति जो कडी धूप में चमकते हुए बालू के कणों के फलस्वरूप होती है। दे० ‘मरीचिका’। (मिरेज) २. लाक्षणिक अर्थ में अवास्तविक पदार्थ।
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मृग-मित्र  : पुं० [ब० स०] चंद्रमा।
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मृग-मुख  : पुं० [ब० स०] मकर राशि।
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मृग-यूथ  : पुं० [ष० त०] हिरणों का दल।
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मृग-रसा  : स्त्री० [ब० स०+टाप्] सहदेई नाम का पौधा। सहदेवी। महाबला।
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मृग-राज  : पुं० [सं० ष० त०] सिंह। शेर।
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मृग-रोग  : पुं० [ष० त०] पशुओं विशेषतः चोड़ों के नथने सूजने का एक रोग।
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मृग-रोय (न्)  : पुं० [ष० त०] ऊन।
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मृग-लांछन  : पुं० [ब० स०] चंद्रमा।
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मृग-लेखा  : स्त्री० [मध्य० स०] चंद्रमा पर का मृगांक।
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मृग-लोचन  : वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० मृगलोचना, मृगलोचनी] हिरन के समान सुन्दर आँखों-वाला।
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मृग-लोचनी  : वि० स्त्री०, हिं० मृगलोचन का स्त्री रूप।
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मृग-वल्लभ  : पुं० [ष० त०] एक तरह की घास।
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मृग-वारि  : पुं० [मध्य० स०] १. वह जल जिसकी भ्रांति मृग की कड़ी धूप में चमकते हुए बालू के फलस्वरूप होती है। २. लाक्षणिक अर्थ में, भ्रममूलक पदार्थ या बात।
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मृग-वाहन  : पुं० [ब० स०] वायु। हवा।
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मृग-व्याध  : पुं० [मध्य० स०] १. शिकारी। २. नक्षत्र।
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मृग-शिरा  : पुं० [सं० मृगशिर+टाप्] २७ नक्षत्रों में से पाँचवाँ नक्षत्र जो तीन तारों का है।
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मृग-शीर्ष  : पुं० [ब० स०] मृगसिरा नक्षत्र। २. माघ महीना।
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मृग-श्रेष्ठ  : पुं० [स० त०] व्याघ्र।
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मृगजा  : स्त्री० [सं० मृगज+टाप्] कस्तूरी।
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मृगजीवन  : पुं० [सं० मृग√जीव (जीना)+ल्यु—अन, उप० स०] शिकारी।
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मृगप्रिय  : पुं० [ष० त०] १. भूतृण। २. जल-कदली।
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मृगमेह  : पुं० =मृगमद (कस्तूरी)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मृगम्मद  : पुं० =मृगमद (कस्तूरी) उदाहरण—देव में सीस बसायौ सनेह कै, भाव मृगम्मद बिंद कै राख्यौ।—देव। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मृगया  : स्त्री० [सं०√मृग्+णिच्+श, यक्, णि-लोप+टाप्] १. वन्य पशुओं के शिकार के लिए किया जानेवाला वन-गमन। २. आखेट। शिकार।
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मृगयू  : पुं० [सं० मृग√या (गति)+कु०] १. ब्रह्मा। २. गीदड़। २. ब्याध।
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मृगरोमज  : पुं० [सं० मृगरोमन√जन् (उत्पत्ति)+ड] ऊनी कपड़ा।
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मृगव्य  : पुं० [सं० मृग√व्यध (बेधना)+ड] १. वह जन्तु जिसका शिकार मृग या शेर करता हो। २. वह जिसे मार डालने अथवा हानि पहुँचाने से अपना कोई उद्देश्य सिद्ध होता या काम निकलता है। ३. शिकार।
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मृगहा (हन्)  : पुं० [सं० मृग√हन् (हिंसा)+क्विप्] शिकारी।
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मृगा  : स्त्री० [स० मृग+अच्+टाप्] सहदेई नाम का पौधा।
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मृगांक  : पुं० [मृगअंक, ब० स०] १. चंद्रमा। २. ते० ‘मृगांक रस’।
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मृगांक-रस  : पुं० [मध्य० स०] वैद्यक में एक प्रकार का रस जो सुवर्ण और रत्नादि से बनता है और क्षयरोग में अत्यधिक गुणकारक माना जाता है।
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मृगाक्ष  : वि० [मृग-अक्षि, ब० स०+षच्] [स्त्री० मृगाक्षी] मृग की आँखों के समान सुन्दर आँखोंवाला।
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मृगाक्षी  : वि० स्त्री० [सं० मृगाक्ष+ङीष्] मृगनयनी। मृगलोचनी।
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मृगाजिन  : पुं० [मृग-अजिन, ष० त०] मृग-छाला। मृग-चर्म।
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मृगाजीव  : स्त्री० [सं० मृग√जीव् (जीना)+अच्] १. कस्तूरी। २. वारुणी लता।
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मृगांतक  : वि० [मृग-अंतक, ष० त०] मृगों या जंगली जानवरों का अन्त या नाश करनेवाला। पुं० चीता नामक हिंसक पशु।
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मृगादन  : वि० पुं० [सं०√अद्+ल्यु —अन=अदन, मृग-अदन, ष० त०] मृगाद।
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मृगादनी  : स्त्री० [सं० मृगादान+ङीष्] १. इंद्रावारुणी। इंद्रायन। २. सहदेई। ३. ककड़ी।
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मृगाद्  : पुं० [सं० मृग√अद् (खाना)+क्विप्] सिंह, चीता, बाघ इत्यादि वन्य जन्तु जो मृगों को खाते हैं। वि० मृगों को खानेवाला।
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मृगाराति  : पुं० [सं० मृग-अरति, ष० त०] कुत्ता।
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मृगाशन  : पुं० [सं० मृग-अशन, ब० स०] सिंह। शेर।
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मृगित  : भू० कृ०[सं०√मृग (खोजना)+क्त] जिसके विषय में छान बीन की गई हो। अन्वेषित।
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मृगिनी  : स्त्री० [सं० मृग] मृग की मादा। मादा हिरन। हिरनी। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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मृगी  : स्त्री० [सं० मृग+ङीष्] १. मादा हिरन। २. पीले रंग की एक प्रकार की कौड़ी। ३. मिरगी नामक रोग। अपस्मार। ४. कस्तूरी। ५. कश्यप ऋषि की क्रोधवशा नाम्नी पत्नी से उत्पन्न दस कन्याओं में से एक, जिससे मृगों की उत्पत्ति हुई और जो पुलह ऋषि की पत्नी थी। ६. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक रगण (ऽ।ऽ) होता है। प्रियावृत्त।
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मृगीवंत  : पुं० दे० मृग-तृष्णा। उदाहरण—मृगीवंत जल दरसै जैसे।—नंददास।
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मृगु-गम  : पुं० [ष० त०] चित्रा, अनुराधा, मृगशिरा और रेवती इन चारों नक्षत्रों का एक गण।
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मृगुपक्षा  : स्त्री० [सं०] एक प्रकार की समुद्री मछली। सामन। (सैल्मन)।
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मृगेंद्र  : पुं० [सं० मृग-इन्द्र, ष० त०] सिंह। शेर।
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मृगेंद्र-चटक  : पुं० [सं० उपमि० स०] बाज (पक्षी)।
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मृगेंल  : स्त्री० [सं० मृग+हिं, एल (प्रत्यय)] सुनहली आँखोंवाली। एक प्रकार की मछली।
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मृगेंश  : पुं० [सं० मृग-ईश, ष० त०] सिंह। शेर।
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मृगोत्तम  : पुं० [सं० मृग-उत्तम, ] मृगशिरा नक्षत्र। वि० मृगों में उत्तम या श्रेष्ठ।
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मृग्य  : वि० [सं०√मृग (खोजना)+यत्] १. जिसका पीछा किया जाय। २. अन्वेषण किये जाने के योग्य।
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