शब्द का अर्थ
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मेह :
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पुं० [सं०√मिह् (क्षऱण)+घञ्] १. पेशाब। मूत्र। २. प्रमेह नामक रोग। ३. कोई ऐसा रोग जिसमें मूत्र के साथ कोई और विकृत या दूषित तत्त्व भी निकलता हो। जैसे—मधु-मेह आदि। पुं० [सं० मेष] १. मेष। भेड़। २. बादल। मेघ। ३. वर्षा। मेह। |
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समानार्थी शब्द-
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मेहतर :
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पुं० [फा० मिहतर] १. बहुत बड़ा और प्रतिष्ठित या मान्य व्यक्ति। बुजुर्ग। २. भंगी विशेषतः मुसलमान भंगी। |
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मेहतरानी :
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स्त्री० हिं० ‘मेहतर’ (भंगी) का स्त्री। |
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मेहँदिया :
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वि० [हिं० मेंहदी] मेंहदी के रंग का। हरापन लिये लाल रंग का। पुं० उक्त प्रकार का रंग। |
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मेहँदी :
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स्त्री०=मेंहदी। |
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मेहन :
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पुं० [सं०√मिह्+ल्युट-अन] १. पेशाब करना। मूत्र-त्याग। २. पेशाब। मूत्र। ३. [√मिह्+ल्यु-अन] जननेंद्रिय। लिंग। |
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मेहनत :
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स्त्री० [अ०] परिश्रम विशेषतः शारीरिक परिश्रम। |
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मेहनताना :
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पुं० [अ०+फा०] १. मेहनत करने के बदले में मिलनेवाला धन। पारिश्रमिक। २. विशेष रूप से वह धन जो वकील को मुकदमा लड़ने के बदले में दिया जाता है। |
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मेहनती :
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वि० [अ० मेहनत+हिं० ई (प्रत्यय)] १. अधिक या पूरी मेहनत करनेवाला। परिश्रमी। २. व्यायाम करनेवाला। ३. पुष्ठ। |
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मेहना :
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स्त्री० [सं०√मिह्+णिच्+युच्+अन+टाप्] महिला। स्त्री। पुं० [अ० मिहन=परीक्षण या हिं० ताना का अनु०] किसी के साथ। किये हुए उपकार की ऐसी चर्चा जो उपकृत व्यक्ति की कृतघ्नता दिखलाने पर लज्जित करने के लिए की जाय। जैसे—वह दिन-रात ननद को ताने-मेहने देती रहती है। (स्त्रियाँ)। क्रि० प्र०—देना।—मारना। |
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मेहमान :
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पुं० [फा०मेहमान] १. अतिथि। अभ्यागत। २. दामाद। |
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मेहमानदारी :
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स्त्री० [फा०] अतिथि या मेहमान की की जानेवाली आवभगत या आदर-सत्कार। आतिथ्य। |
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मेहमानी :
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स्त्री० [फा० मेहमान+ई (प्रत्यय)] १. मेहमान होने की अवस्था या भाव। २. मेहमान का किया जानेवाला आतिथ्य सत्कार। ३. अपने घर मेहमानों की तरह किया जानेवाला संकोच। |
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मेहर :
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स्त्री० [फा० मेह्र] मेहरबानी। अनुग्रह। दया। स्त्री०=मेहरी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मेहरना :
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अ० [हि० मेहर+ना (प्रत्यय)] मेहर अर्थात् अनुग्रह करना। |
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मेहरबान :
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वि० [फा० मेह्रबान] कृपालु। दयालु। अनुग्रह करनेवाला। |
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मेहरबानगी :
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स्त्री०=मेहरबानी। |
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मेहरबानी :
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स्त्री० [फा० मेह्रबानी] १. मेहरबान होने की अवस्था या भाव। कृपा। अनुग्रह। २. मेहरबान द्वारा किया हुआ कोई उपकार या अनुग्रह। |
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मेहरा :
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पुं० [हि० मेहरी] १. स्त्रियों की सी चेष्टावाला। स्त्री-प्रकृतिवाला। जनखा। पुं० [?] जुलाहों की चरखी का घेरा। पुं० [सं० मिहिर] खत्रियों की एक जाति या वर्ग। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मेहराना :
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अ० [?] नमी आदि के कारण कुरकुरे या मुरमुरे पदार्थ का कुछ आर्द्र होना। जैसे—बरसात के कारण भुने हुए दाने या सेव मेहराना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मेहराब :
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स्त्री० [अ० मिहराब] द्वार के ऊपर का अर्द्धमंडलाकार बनाया हुआ भाग। दरवाजे के ऊपर का गोले, आधे गोले या मंडल की तरह का बनाया हुआ हिस्सा। |
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मेहराबदार :
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वि० [अ० +फा] जिसमें मेहराब लगी हो। मेहराबवाला। |
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मेहराबी :
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वि० [अ० मिहराबी] मेहराबदार। स्त्री० एक प्रकार की तलवार जो मेहराब की तरह बीच में कुछ झुकी हुई या टेढ़ी होती है। |
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मेहरारू :
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स्त्री० [सं० मेहना] १. महिला। स्त्री। २. जोरू। पत्नी। |
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मेहरिया :
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स्त्री०=मेहरी। |
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मेहरी :
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स्त्री० [सं० मेहना] १. स्त्री०। औरत। २. जोरू। पत्नी। |
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मेहल :
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पुं० [देश] मँझोले आकार का एक तरह का वृक्ष जिसके फल खाये जाते हैं। इसकी लकड़ी की छड़ियाँ और हुक्के की निगालियाँ बनती है। |
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मेह्र :
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स्त्री०=मेहर (कृपा)। |
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मेह्रवान :
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वि०=मेहरबान। |
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