शब्द का अर्थ
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					मौन					 :
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					पुं० [सं० मुनि+अण्] १. मुनि का भाव। २. न बोलने की क्रिया या भाव। चुप रहना। चुप्पी। क्रि० प्र०—गहना।—धारना।—रहना। मुहावरा—मौन खोलना=देर तक चुप रहने के उपरान्त बोलना। मौन तोड़ना=व्रत तोड़ देना। मौन बाँधना=मौन धारण करना। न बोलने का प्रण करना। मौन लेना या साधना=चुप रहने का व्रत करना। २. मुनियों का व्रत। मुनिव्रत। ३. फागुन मास का पहला पक्ष। वि० [सं० मौनी] जो न बोले। चुप। मौनी। पुं० [सं० मौण] १. बरतन। पात्र। २. डब्बा। ३. पिटारा। ४. टोकरा।				 | 
			
			
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					मौन-व्रत					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] मौन धारण करने का व्रत। चुप रहने का व्रत।				 | 
			
			
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					मौना					 :
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					पुं० [सं० मोण] [स्त्री० अल्पा० मौनी] १. घी, या तेल आदि रखने का एक प्रकार का बरतन। २. टोकरा। पिटारा।				 | 
			
			
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					मौनी (निन्)					 :
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					वि० [सं० मौन+इनि] १. मौन अर्थात् चुप रहने वाला। न बोलनेवाला। २. जिसने मौन व्रत धारण किया हो। पुं० =मुनि। स्त्री० हिं० ‘मौना’ का स्त्री० अल्पा०।				 | 
			
			
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					मौनी अमावस					 :
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					स्त्री० [हिं०] माघ मास में पड़नेवाली अमावस। इस दिन मौन रहने का महात्म्य है।				 | 
			
			
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					मौनेय					 :
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					पुं० [सं० मुनि+ढक्-एय] गंधर्वों, अप्सराओं आदि का एक मातृक गोत्र।				 | 
			
			
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