शब्द का अर्थ
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मौर :
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पुं० [सं० मुकुट, पा० मउड़] [स्त्री० अल्पा० मौरी] १. विवाह के समय वर को पहनाया जानेवाला ताड़-पत्र या खुखड़ी का बना हुआ एक प्रकार का शिरोभूषण। मुहावरा—मौर बाँधना=विवाह के समय सिर पर मौर पहनना। वि० सब में मुख्य या श्रेष्ठ। शिरोमणि। पुं० [सं० मुकुल, प्रा० मउल] मंजरी। बौर। जैसे—आम का मौर। पुं० [सं० मौलि=सिर] १. सिर। २. गरदन का पिछला भाग जो सिर के नीचे पड़ता है। |
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समानार्थी शब्द-
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मौर-छोराई :
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स्त्री० [हिं० मउर-छुड़ाई] १. विवाह के उपरांत मौर खोलने की रस्म। २. उक्त रसम के समय मिलनेवाला धन या नेग। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौरजिक :
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पुं० [सं० मुरज+ठक्-इक] मुरज नामक बाजा बजानेवाला। मुरज बजानेवाला। |
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मौरना :
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स० [हिं० मौर+ना (प्रत्यय)] वृक्षों पर मंजरी लगना। आम आदि के पेड़ों पर बौर लगना। बौराना। |
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मौरसिरी :
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स्त्री०=मौलसिरी। |
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मौरिक :
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वि० [सं० मुकुलित] मौर अर्थात् मंजरी से युक्त। |
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मौरी :
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स्त्री० [मौर का स्त्री०अल्पा०] कागज आदि का बना हुआ वह छोटा मौर जो विवाह में वधू के सिर पर बाँधा जाता है। |
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मौरुसी :
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वि० [अ०] पैतृक। जैसे—मौरुसी घर या जायदाद। |
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मौर्ख्य :
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पुं० [सं० मूर्ख+ष्यञ्] मूर्खता। बेवकूफी। |
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मौर्य :
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पुं० [सं० मुरा+ण्य] मगध का एक प्रसिद्ध भारतीय राजवंश। |
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मौर्वी :
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स्त्री० [सं० मूर्वा+अण्+ङीष्] धनुष की प्रत्यंचा। कमान की डोरी। ज्या। |
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