यार/yaar

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यार  : पुं० [फा०] [भाव० यारी] १. मित्र। दोस्त। २. किसी स्त्री के विचार से उसका प्रेमी या उपपत्ति।
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यार-बाज  : वि० [फा०] [भाव० यार-बाजी] यारवाश। (दे०)
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यार-बाश  : वि० [फा०] [भाव० यारबाशी] १. जिसके बहुत से मित्र हों तथा जो मित्रों में ही अधिक समय बिताता हो। २. मित्रों में रहकर अपना जीवन हँसी-खुशी से बितानेवाला। ३. जो सब के साथ मित्रता स्थापित कर लेता हो।
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यार-बाशी  : स्त्री० [फा०] यार-बाश होने की अवस्था या भाव।
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यार-मार  : पुं० [फा+हिं०] [भाव० यार-मारी] मित्र को समय पर धोखा देने अथवा उससे अनुचित लाभ उठानेवाला व्यक्ति।
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यारकंद  : पुं० [तु० यारकंद] १. चीनी तुर्किस्तान का एक प्राचीन नगर। २. एक प्रकार का बेल-बूटा जो कालीन में बनाया जाता है।
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यारमंद  : पुं० [फा०] [भाव० यारमंदी] निष्ठापूर्वक मित्रता का निर्वाह करनेवाला व्यक्ति। सच्चा मित्र।
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यारमंदी  : स्त्री० [फा०] सच्ची मित्रता।
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याराना  : पुं० [फा० यारनः] १. यार होने की अवस्था, धर्म या भाव। मित्रता। मैत्री। दोस्ती। २. पर-स्त्री और पर-पुरुष का अनुचित सम्बन्ध या प्रेम। क्रि० प्र०—गाँठना।—लगाना। वि० मित्रों का सा। मित्रता का।
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यारि  : स्त्री० [फा० यार] प्रियतमा। प्रेयसी। उदाहरण—हरति ताप सब द्यौस को उर लगि यारि बयारि।—बिहारी।
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यारी  : स्त्री० [फा०] १. यार होने की अवस्था या भाव। मैत्री। मित्रता। २. पर-स्त्री और पर-पुरुष का अनुचित प्रेम या संबंध। क्रि० प्र० गाँठना।—जोड़ना।
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