शब्द का अर्थ
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लगा :
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पुं० [हिं० लगना] किसी के साथ लगा रहनेवाला, और फलतः तुच्छ या हीन व्यक्ति (बाजारू)। जैसे—लगे की मूँछे, उखड़वाऊँगी। (स्त्रियाँ) |
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लगा-लगी :
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स्त्री० [हिं० लगना] १. लगने अर्थात् प्रेम-संबंध चलता होने की अवस्था या भाव। २. मेल-जोल। हेल-मेल। ३. लांग-डाँट। |
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लगा-सगा :
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पुं० [हिं० लगना+सगा अनु०] १. संपर्क। संबंध। २. अनुचित या गुप्त संबंध। |
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लगाई :
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पुं० [हिं० लगना] १. लगने या लगने लगे की अवस्था भाव या मजदूरी। २. इधर की बात उधर लगाने की क्रिया या भाव। |
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लगाई-बुझाई :
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स्त्री० [हिं० लगाना+बुझाना] कहीं झगड़ा खड़ा करना और फिर इधर-उधर की बातें करके उसे शान्त करने का प्रयत्न करना। |
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लगाई-लुतरी :
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स्त्री० [हिं० लगाना+लुतरा] आपस में झगड़ा कराने के लिए झूठी-सच्ची बातें इधर-उधर करते फिरना। |
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लगाऊ :
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वि० [हिं० लगाना] लगानेवाला। |
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लगातार :
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अव्य० [हिं० लगना+तार=सिलसिला] बराबर एक के बाद एक। सिलसिलेवार। निरंतर। सतत। जैसे—वह दिन भर लगातार काम करता रहा। |
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लगान :
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स्त्री० [हिं० लगना या लगाना] १. लगने या लगाने की क्रिया या भाव। २. किसी के साथ लगे या सटे हुए होने की अवस्था या भाव। लाग। जैसे—इस मकान में बगल वाले मकान से लगान पड़ती है। ३. वह स्थान जहाँ मजदूर आदि सुस्ताने के लिए अपने सिर पर का बोझ उतार कर रखते हैं। टिकान। ४. वह स्थान जहाँ नावें आकर ठहरती हैं और मल्लाह विश्राम करते हैं। ५. किसी की टोह में उसके पीछे लगने की क्रिया या भाव। जैसे—उसके पीछे तो पुलिस की लगान लगी है। ६. भूमि पर लगनेवाला वह कर जो खेतिहरों की ओर से जमींदार या सरकार को मिलता है। राजस्व। भूकर। जमाबंदी। पोत। विशेष—इस अन्तिम अर्थ में यह शब्द अधिकतर पुं० रूप में ही प्रयुक्त होता दिखाई देता है। |
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लगाना :
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स० [हिं० लगना का स०] १. एक पदार्थ के तल या पार्श्व को दूसरे पदार्थ के तल या पार्श्व के पास इस प्रकार पहुँचाना कि वह आंशिक या पूर्ण रूप से उसके साथ मिल या सट जाय। संलग्न करना। सटाना। जैसे—पुस्तक पर जिल्द या दीवार पर कागज लगाना। २. एक चीज को दूसरी चीज पर जोडऩा, टाँकना, बैठाना या रखना। जैसे—(क) तस्वीर पर या दरवाजे पर शीशा लगाना। (ख) टोपी या पगड़ी कलंगी लगाना। (ग) घड़ी में नया पुरजा या नई सूई लगाना। ३. कोई चीज ठीक तरह से काम में लाने के लिए उसे यथास्थान खड़ा या स्थित करना। जैसे—(क) जहाज या नाव में पाल लगाना। (ख) दरवाजे के आगे परदा लगाना। ४. किसी तल पर कोई गाढ़ा तरल पदार्थ, पोतना या फेरना या मलना। लेप करना। जैसे—(क) खिड़कियों या दरवाजों में रंग लगाना। (ख) पैरों या हाथों में मेंहदी लगाना। (ग) शरीर के किसी अंग में तेल या दवा लगाना। (घ) जूते पर पालिश लगाना। ५. किसी रूप में कोई चीज किसी के पीछे या साथ सम्मिलित करना। जैसे—पुस्तक में कोई अनुक्रमणिका या परिशिष्ट लगाना। ६. किसी व्यक्ति का भेद लेने या उससे कोई उद्देश्य सिद्ध कराने के लिए किसी को उसके पीछे या साथ नियुक्त करना। जैसे—क) किसी के पीछे जासूस लगाना। (ख) किसी से कोई काम कराने लिए उसके पीछे आदमी लगाना। ७. कोई अनिष्ट या कष्टदायक तत्त्व या बात किसी के साथ संबद्ध या संलग्न करना। जैसे—(क) किसी के पीछे कोई आफत या मुकदमा लगाना। (ख) किसी को कोई बुरी आदत या व्यसन लगाना। ८. आवरण, निरोधन आदि के रूप में काम में आनेवाली चीज इस प्रकार यथा स्थान बैठाना कि उससे रुकावट हो सके। जैसे—(क) कमरे के किवाड़ या दरवाजे लगाना अर्थात् कमरा बन्द करना। (ख) डिबिया या संदूक का ढक्कन लगाना अर्थात् डिबिया का संदूक बन्द करना। ९. किसी काम, चीज या बात या व्यक्त को ऐसे स्थान या स्थिति में पहुँचाना या लाना कि उसका ठीक, उपयोग सार्थकता या सिद्धि हो सके। जैसे—(क) नाव किनारे पर या पार लगाना। (ख) मनीआर्डर या रजिस्ट्री लगाना। (ग) किसी आदमी को काम या नौकरी पर लगाना। १॰. चीज (या चीजें) ऐसे क्रम से या रूप में रखना कि नियमित रूप से उसका यथोचित्त उपयोग हो सके। जैसे—(क) आलमारी में किताबें या फर्श पर गद्दी-तकिया लगाना। (ख) पंगत के आगे पत्तल लगाना। (ग) दूकान या बिस्तर लगाना। ११. किसी पदार्थ का उपभोग करने के लिए उसे ठीक स्थान पर रखना। जैसे—(क) सिर पर टोपी या पगड़ी लगाना। (ख) सहारे के लिए पीठ के पीछे या हाथ के नीचे तकिया लगाना। १२. कोई चीज या उसके उपकरण किसी विशिष्ट क्रम या विधान से यथा स्थान स्थित करना जैसे—(क) पुस्तकों का क्रम लगाना। (ख) बीड़ा लगाने के लिए पान लगाना, अर्थात् पान पर कत्था, चूना आदि रखकर उसे मोड़ना। १३. किसी चीज का उपयोग करते हुए उसका व्यय करना। जैसे—(क) ब्याह शादी में रुपये लगाना। (ख) काम में समय लगाना। (ग) काम करने में देर लगाना, अर्थात् अधिक समय व्यय करना। १४. किसी को किसी कर्तव्य, कार्य, पद आदि पर नियुक्त या नियोजित करना। मुकरर करना। जैसे—(क) किसी जगह पर पहरा लगाना। (ख) किसी को काम या नौकरी पर लगाना। १५. आघात या प्रहार करने के लिए अस्त्र, शस्त्र आदि उद्दिष्ट स्थान पर पहुँचाना। जैसे—(क) किसी को थप्पड़ या मुक्का लगाना। (ख) किसी पर गोली का निशाना लगाना। (ग) किसी चीज पर दाँत या नाखून लगाना। १६. कोई कार्य पूरा करने के लिए किसी प्रकार के उपकरण या साधन का उपयोग या प्रयोग करना। जैसे—(क) कमरा बन्द करने के लिए किवाड़ कुंडी या सिटकिनी लगाना। (ख) दरवाजे में ताला या ताले में ताली लगाना। १७. किसी की कोई झूठी-सच्ची निन्दा की बात किसी दूसरे से जाकर कहना। कान भरना। जैसे—इधर की बात उधर लगाना। पद—लगाना-बुझाना=आपस में लोगों को लडाना या फिर समझा बुझा कर शांत करना। १८. किसी प्रकार का कार्य या व्यवहार आरंभ करना। जैसे—(क) किसी को किसी बात की आदत या चसका लगाना। (ग) भाई भाई में झगड़ा लगाना। मुहावरा—(किसी को) मुँह लगाना=किसी के साथ इतनी नरमी या रियायत का व्यवहार करना कि वह अशालीनता की उद्दंतापूर्ण या दृष्टता की बातें और व्यवहार करने लगे। जैसे—नौकरों को बहुत मुँह लगाना ठीक नहीं है। १९. किसी विषय में या व्यक्ति पर किसी चीज या बात का आरोप करना। जैसे—(क) किसी पर अभियोग या दोष लगाना। (ख) किसी विषय में कोई धारा या नियम लगाना। (ग) स्वयं काम बिगाड़कर दूसरे का नाम लगाना। २॰. किसी प्रकार की शारीरिक अनुभूति कराना या अपेक्षा उत्पन्न करना। जैसे—किसी दवा का प्यास या भूख लगाना। २१. मानसिक वृत्ति को किसी ओर ठीक तरह से प्रवृत्त करना। जैसे—(क) किसी काम या बात में मन लगाना। (ख) पूजन या भजन में ध्यान लगाना। (ग) आसन या समाधि लगाना। २२. किसी काम या बात को क्रियात्मक रूप देना। घटित करना। जैसे—(क) कपडों या किताबों का ढेर लगाना। (ख) किसी का दाह-कर्म करने के लिए चिता लगाना अथवा चिता में आग लगाना। (ग) देर, बाजी या शर्त लगाना। (घ) नैवेद्य या भोग लगाना। २३. किसी पद, वाक्य या शब्द का अर्थ या आशय समझकर स्थिर करना। जैसे—(क) चौपाई या श्लोक का अर्थ लगाना। (ख) किसी की बातों का कुछ का कुछ अर्थ लगाना। २४. गणित की कोई क्रिया ठीक तरह से पूरी या सम्पन्न करना। जैसे—जोड़, बाकी या हिसाब लगाना। २५. किसी पर कोई दायित्व या देन नियत या स्थिर करना जैसे—(क) कर या जुरमाना लगाना। (ख) किसी के जिम्मे कर्ज या देन लगाना। २६. यान या सवारी किसी स्थान पर टिकाना, ठहराना या रोकना। जैसे—बंदरगाह में जहाज लगाना। २७. पेड़, पौधे बीज आदि भूमि में इस प्रकार स्थापित करना कि वे जम या लगकर बढ़े और फूले-फलें। जैसे—बगीचे में आम या गुलाब लगाना। २८. गौएँ, भैसें आदि दुहना। जैसे—यही ग्वाला मुहल्ले भर की गौएँ लगाता है। २९. कोई चीज देखकर लेने के लिए उसका दाम या भाव कहना या निश्चित करना। मूल्यांकन करना। जैसे—मैने तो उस मकान का दाम दस हजार लगाया है। ३॰. यंत्रों आदि के संबंध में कल-पुरजे ठीक तरह से चारा काटने या रूई धुनने की मशीन लगाना। ३१. किसी प्रकार से बैठाकर उन्हें काम करने के योग्य बनाना। जैसे—आटा पीसने, काम में प्रवृत्त या रत करना। जैसे—सामान ढोने के लिए मजदूर लगाना। ३२. ऐसा कार्य करना जिसमें बहुत से लोग एकत्र या सम्मिलित हों। जैसे—तुम तो जहाँ जाते हो वहाँ भीड़ (या मेला) लगा देते हो। ३३. किसी के साथ किसी प्रकार का संबंध स्थापित करना। जैसे—(क) किसी से दोस्ती लगाना। (ख) किसी के साथ कोई रिश्ता लगाना। मुहावरा—किसी को लगा कर कुछ कहना या गाली देना=बीच में किसी का संबंध स्थापित करके किसी प्रकार का आरोप करना। जैसे—किसी की माँ-बहन को लगाकर कुछ कहना बहुत बड़ी नीचता है। ३४. शरीर का कोई अंग ऐसी स्थिति में लाना कि वह अपना काम ठीक तरह से कर सके। जैसे—काम में हाथ लगाना। |
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लगाम :
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स्त्री० [फा०] १. जोते जानेवाले घोड़े के मुँह में लगाया जानेवाला एक प्रकार का अर्ध चंद्राकार ढाँचा जिससे रासें बँधी होती है। क्रि० प्र०—चढ़ाना।—लगाना। मुहावरा—जबान या मुँह में लगाम न होना=बिना सोचे-समझे बकने की आदत होना। २. बाग। रास। मुहावरा—(किसी के पीछे) लगाम लिये फिरना=धरने-पकड़ने के उद्देश्य से किसी का पीछा करना। ३. कोई ऐसी चीज या बात जो किसी को नियंत्रण में रखती हो। जैसे—उनकी जबान (या मुँह) में लगाम तो है ही नहीं, अर्थात् वे अपनी बोलचाल पर नियंत्रण नहीं रख सकते। क्रि० प्र०—चढ़ाना।—लगाना। |
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लगामी :
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स्त्री० [फा० लगाम+हिं० ई (प्रत्यय)] गाय-भैस, घोड़े, बकरी आदि पशुओं के मुँह पर बाँधी जानेवाली वह जाली जिसके फल-स्वरूप वे कुछ काटने या खाने से वंचित हो जाते हैं। |
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लगाय :
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स्त्री० [हिं० लगना+आय (प्रत्यय)] १. लगावट। २. प्रेम। संबंध। उदाहरण—तिन सौ क्यों कीजिए लगाय।—सूर। अव्य० तक। पर्यंन्त। |
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लगायत :
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अव्य०=लगाय। |
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लगार :
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स्त्री० [हिं० लगना+आर (प्रत्यय)] १. काम करने-कराने का बँधा हुआ ढंग या प्रकार। बंधी। बंधेज। २. क्रम सिलसिला। ३. लगाव। संबंध। ४. प्रीति। लगाव। ५. वह जिससे किसी प्रकार का घनिष्ट संबंध हो। ६. किसी दूसरे के लिए रहस्य मय बातों का पता लगानेवाला दूत। ७. वह स्थान जहाँ से जुआरियों को जुए के अड्डे पर पहुँचाया जाता हो। ठिकाना। वि० १. किसी के पीछे या साथ लगा रहनेवाला। २. किसी के साथ प्रेम आदि का संबंध रखनेवाला। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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लगाव :
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पुं० [हिं, ०लगना+आव (प्रत्यय)] १. किसी के साथ लगे होने की अवस्था, गुण या भाव। २. सम्बन्ध। वास्ता। ३. प्रेम सम्बन्ध। |
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लगावट :
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स्त्री० [हिं० लगना+आवट (प्रत्यय)] १. लगने या लगे हुए होने का भाव या स्थिति। २. लगाव। संबंध। ३. श्रृंगारिक क्षेत्र का अनुराग, प्रेम या संबंध। |
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लगावन :
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स्त्री० =लगाव। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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लगावना :
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स०=लगाना। |
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