शब्द का अर्थ
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					वंदन					 :
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					पुं० [सं०√वंद्+ल्युट-अन] १. नम्रतापूर्वक की जानेवाली वंदना या स्तुति। २. शरीर पर बनाए जानेवाले तिलक आदि चिन्ह। ३. एक प्रकार का विष। ४. वंदाक या बाँदा नामक वनस्पति। सिंदूर।				 | 
			
			
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					वंदन-धूरि					 :
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					स्त्री० [सं० वंदन=सिंदूर+हिं० धूरि=धूल] अबीर, गुलाल आदि। उदाहरण–रसिकलाल पर मेलति कामिनि वंदनधूरि।–हितहरिवंश।				 | 
			
			
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					वंदनक					 :
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					पुं० [सं० वंदन+कन्०]=वंदन या वंदना।				 | 
			
			
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					वंदनता					 :
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					स्त्री०=वंदनीयता। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					वंदनमाल					 :
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					स्त्री०=वंदनवार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					वंदना					 :
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					स्त्री० [सं०√वंद्+युच्-अन,टाप्] [भू० कृ० वंदित,वि० वंदनीय] १. आदर और नम्रतापूर्वक की जानेवाली स्तुति। वंदन। २. बौद्धों की एक पूजा। ३. होम हो चुकने पर उसकी भस्म से लगाया जानेवाला तिलक।				 | 
			
			
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					वंदनी					 :
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					स्त्री० [सं० वंदन+ङीष्०] १. स्तुति। वंदना। २. जीवातु नामक ओषधि। ३. गोरोचन। ४. शरीर पर लगाए जानेवाले तिलक आदि चिह्न। ५. माँगने की क्रिया। याचना। ६. वटी।				 | 
			
			
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					वंदनीय					 :
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					वि० [सं०√वंद+अनीयर्] [भाव० वंदनीयता] जिसकी वंदना की जानी चाहिए अथवा की जाने को हो।				 | 
			
			
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