शब्द का अर्थ
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					वसा					 :
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					स्त्री० [सं०] [वि० वसीय] १. पीले अथवा सफेद रंग का एक प्रसिद्ध चिकना या तैलावत पदार्थ जो पशुओं, मछलियों और मनुष्यों के शरीर में पाया जाता है और जिसकी अधिकता होने पर उसमें मोटाई आती है। चरबी। (फैट) २. उक्त प्रकार का कोई सेंद्रिय तत्त्व या पदार्थ। (जैसे–पौधों या फलों में का)। ३. मज्जा।				 | 
			
			
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					वसा प्रमेह					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] एक प्रकार का मेहरोग जिसमें पेशाब के साथ चरबी निकलती है।				 | 
			
			
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					वसाकेतु					 :
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					पुं० [सं०] एक प्रकार का तरह का धूमकेतु या तारक पुंज।				 | 
			
			
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					वसातत					 :
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					स्त्री० [अ० वस्त (मध्य) का भाव०] १. मध्यस्थता। २. जरिया। द्वार।				 | 
			
			
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					वसामेह					 :
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					पुं० [सं० ष० त०]=वसाप्रमेह।				 | 
			
			
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					वसार					 :
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					पुं० [सं० वसा+रक्] १. इच्छा। २. वश। ३. अभिप्राय।				 | 
			
			
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					वसाल					 :
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					पुं० [?] भेंड़। (राज०) उदाहरण–ढोला करह निवासियउ देखे बीस वसाल।–ढो० मा० दू०।				 | 
			
			
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