शब्द का अर्थ
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					विषया					 :
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					स्त्री० [सं० विषय+टाप्] १. विषय-भोग की इच्छा। २. विषय-भोग की सामग्री।				 | 
			
			
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					विषयांत					 :
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					पुं० [सं० विषय+अन्त, ष० त०] विषय अर्थात् देश या राज्य की सीमा।				 | 
			
			
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					विषयांतर					 :
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					वि० [सं० विषय+अन्तर, कर्म० स०] समीप। स्थित। पड़ोस का। पुं० १. एक विषय को छोड़कर दूसरे विषय पर आना। २. असावधानता आदि के कारण मूल विषय पर कहते-कहते (या लिखते-लिखते) दूसरे विषय पर भी कुछ कहने (या लिखने) लगना।				 | 
			
			
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					विषयाधिप					 :
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					पुं० [सं० विषय+अधिप, ष० त०]=विषयपति।				 | 
			
			
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					विषयानुक्रमणिका					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] विषयों के विचार से बनी हुई अनुक्रमणिका। विशेषतः किसी ग्रंन्थ में विवेचित विषयों की अनुक्रमणिका या सूची (इन्डेक्स)।				 | 
			
			
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					विषयासक्त					 :
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					वि० [सं० स० त०] [भाव० विषयासक्ति] सांसारिक विषयों का भोग-विलास के प्रति आसक्ति रखनेवाला।				 | 
			
			
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					विषयासक्ति					 :
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					स्त्री० [सं० स० त०] सांसारिक विषयों के भोग में रत रहने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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