शब्द का अर्थ
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					संघट					 :
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					पुं०[सं० सम्√ घट् (मिलना)+अच्] १. समूह। राशि। ढेर। २. मुठ-भेड़। संघर्ष। ३. दे० ‘संघटन’।				 | 
			
			
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					संघटन					 :
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					पुं० [सं०] १. किसी चीज के विभिन्न अवयवों को जोड़कर उसे प्रतिष्ठित करना। रचना। २. व्यक्तियों का मिलना। ३.किसी विशिष्ट वर्ग या कार्य-क्षेत्र के लोगों का मिलकर एक इकाई का रूप धारण करना जिससे वे सामूहिक रूप से अपने हितों की रक्षा कर सकें। ४.बिखरी हुई शक्तियों को एक में मिलाकर उन्हें किसी काम के लिए तैयार करना। ५. इस उद्देश्य से बनाई हुई संस्था (आरगनाइजेशन, अंतिम तीनों अर्थो के लिए)। २. स्वरों या शब्दों का संयोग।				 | 
			
			
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					संघटित					 :
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					भू० कृ० [सं] १. जिसका संघटन हुआ हो। २. (व्यक्तियों का वर्ग) जो एक होकर तथा सामूहिक रूप से अपने ध्येय की सिद्धि के लिए प्रयत्नशील हो। ३. युद्ध, प्रतियोगिता आदि में लगा हुआ। उदा०—सुर बिमान हिम-भानु, भानु संघटित परस्पर।—तुलसी। ४. बजाता हुआ।				 | 
			
			
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					संघट्ट					 :
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					पुं० [सं०] १. रचना का प्रकार या स्वरूप। बनावट। गठन। २. संघर्ष।				 | 
			
			
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					संघट्ट-चक्र					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] फलित ज्योतिष में, युद्ध का परिणाम जानने के लिए बनाया जानेवाला एक प्रकार का चक्र।				 | 
			
			
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					संघट्टन					 :
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					पुं० [सं०] १. बनावट। रचना। गठन। २. मिलन। संयोग। ३. घटना। ४. दे० ‘संघटन’।				 | 
			
			
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					संघट्टित					 :
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					भू० कृ० [सं० सं√ घट्ट (इकट्ठा करना)+क्त] १. एकत्र किया हुआ। २. बनाया हुआ। निर्मित। रचित। ३. चलाया हुआ। चालित। ४. रगड़ा या पीसा हुआ। घर्षित।				 | 
			
			
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