संरोह/sanroh

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संरोह  : पुं० [सं० सम्√रुह् (उगना)+अच्] १. ऊपर चढना, जमना या बैठना। २. घाव सूखने पर पपड़ी जमना या बनना। ३. बीज आदि का अंकुरित होना। ४. आविर्भूत या प्रकट होना। आविर्भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संरोहण  : पुं० [सं० सम्√रुह् (अंकुरित होना)+ल्युट्-अन] [वि० संरोहणीय, संरोही, भू० कृ० संरोहित] संरोह होने की क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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