शब्द का अर्थ
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					संलाप					 :
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					पुं० [संम√लप् (कहना)+घञ्] १. आपस की बात-चीत वार्तालाप। २. नाटक में, ऐसी बात-चीत या संवाद जो धीरता पूर्ण हों और जिसमें आदेश या क्षोभ न हो। ३. साहित्य में जो आप ही आप कुछ बोलना या बडबड़ना जो पूर्वराग की दस दशाओं में एक माना गया है। ४. वियोग की दशा में प्रिय से मन ही मन की जाने वाली बातें।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
					
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					संलापक					 :
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					भू० कृ० [संलाप+कन्] नाटक में, संलाप। वि० संलाप करनेवाला।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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